.

बाबा सा बसे दिलों में | newsforum

©जबरा राम कंडारा, वरिष्ठ अध्यापक, जालोर, राजस्थान

परिचय : शिक्षा- एमए, बीएड, हिंदी व राजस्थानी भाषा में साहित्य, लेख व कविता का प्रकाशन.

 


 

बाबा साहेब की प्रतिमा से, दिल तो उनका जलता है।

शायद ये संविधान देश का, हरदम रहता खलता है।।

दलितों के हित कानून बना, जो कि अभी चलता है।

कड़ा और असरकारक जो, मूंग छाती पे दलता है।।

जिनकी बदौलत दलित वर्ग, अब निर्भय टहलता है।

नफरत होती है मनोमन, जहर का ज्वार उबलता है।।

दलित महापुरुषों के प्रति, हीन भाव मन पलता है।
मौका पा कर मूर्ति को, खंडित कर निकलता है।।

ये कायरता घटिया हरकत, ये कुचाल कुटिलता है।

मन दुर्भाव भरे हुए देखो, सुराग ऐसे मिलता है।।

मानसिकता इतनी गिर गई, इससे पता चलता है।

बाबा सा बसे दिलों में, श्रद्धा का दीपक जलता है।।


Back to top button