जीवन का आधार | ऑनलाइन बुलेटिन
©राजेश दयोरा
परिचय– कैथल, हरियाणा
उसके
बारे में तुम,
जब भी
कुछ बोलो
तो सोचो
समझो और
फिर बोलो
क्योंकि
वह ही तुम्हारी
माँ, बहन, पत्नी
और बेटी के रूप में
हमेशा तुम्हें वो
प्यार, आदर
और सम्मान
देती है
जो तुम
उन्हें खोकर
कभी हासिल
नहीं कर पाओगे
उनके बिना
जीने का
कोई तात्पर्य
नहीं बनता तुम्हारा,
तुम बने
ही हो उनसे,
वो यहां हैं
तो जीवन
है तुम्हारा
वो है तो ही
तुम भी किसी के
बेटे, भाई पति
और पिता
बन पाओगे,
चलना, बोलना,
हंसना, रोना,
जीना और मरना
क्या नहीं
सीखते
उनसे तुम,
उनके बिना
जाहिल, गंवार
और जानवर
ही कहलाओगे।
सोच लो
वो है तो ही
अस्तित्व है
तुम्हारा
गाड़ी
नहीं चलती
एक पहिये पे,
दूसरा पहिया
बनो तुम,
तभी सफल होगी
जिंदगी, है
समानता ही हर
जीवन का आधार,
आधार ये मजबूत
बनाओ तुम।
बाप, भाई,
बेटा और पति
के साथ
एक साथी भी
बन जाओ तुम।