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संभलकर रहना है | Newsforum

©राजेश कुमार मधुकर (शिक्षक), कोरबा, छत्तीसगढ़


 

विपरीत है समय सबको संभलकर रहना है,

कोरोना काल में घर में ही रहो यही कहना है …

 

कुछ लोग हैं जो घरवालों की बातें अनसुना कर,

चले जाते हैं घर से तरह-तरह के बहाने बनाकर।

घूमते पाए जाते हैं खुलेआम बेखौफ सड़कों पर,

ना उनको अपनी चिंता है और ना कोरोना का डर।।

 भूलना नहीं है कि स्वास्थ्य ही सच्चा गहना है,

 विपरीत है समय सबको संभलकर रहना है,

 कोरोना काल में घर में ही रहो यही कहना है …

 

बहादुर से बहादुर व्यक्ति भी कोरोना से हार गए,

जो कहते थे कुछ न होगा न जाने किस पार गए।

अपने घरवालों को देखो कैसे संकट में डार गए,

अपने जीवन की बाजी देखो तो वे कैसे हार गए।।

ना जाने कैसे कैसे दुख को अब तो सहना है,

विपरीत है समय सबको संभलकर रहना है,

कोरोना काल में घर में ही रहो यही कहना है …

 

बुलेट ट्रेन से भी रफ़्तार इस कोरोना की चाल है,

परिजन से बिछड़ गये कितने माँ बाप के लाल है।

एक से दूसरे फिर तीसरे में फैला इसका जाल है,

वर्तमान स्थिति में देखो सबका ही हाल बेहाल है।।

पता नहीं कौन ये कोरोना का चोला पहना है,

विपरीत है समय सबको संभलकर रहना है,

कोरोना काल में घर में ही रहो यही कहना है …

 

वक्त है अभी भी अपने-अपने घर में रुक जाओ,

मास्क, सेनेटाइजर और स्वच्छता को अपनाओ।

न रहो भीड़ में और न कहीं पर अभी घूमने जाओ,

लक्षण दिखे तो डॉक्टरों के कहे नुस्खा आजमाओ।

उचित उपाय करके कोरोना को ना सहना है,

विपरीत है समय सबको संभलकर रहना है।

कोरोना काल में घर में ही रहो यही कहना है …


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