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बहुत खास हो | ऑनलाइन बुलेटिन डॉट इन

©उषा श्रीवास, वत्स

परिचय– एमए (गोल्ड मेडलिस्ट), हॉकी (नेशनल चैम्पियन) व महिला एवं बाल विकास अधिकारी, बिलासपुर.


 

बहती हवा में साँसों को मिलाते,

अनजाना सा खूबसूरत एहसास हो,

चलते-चलते कहीं रुक गये थे तुम,

इस छोटी सी दुनिया में बहुत खास हो।

 

जाने क्या सिखलाकर गये हो तुम

शोर-गुल से दूर मेरे पास हो,

तुम्हारी आवाज संगीत में घुली

सुरमयी अल्फ़ाजों के बीच महकती साँस हो।

 

इश्क के गुफ्तगु जो हमारे शब्द नही समझते,

तु साथ चल मेरे तुम मेरी तलाश हो,

अब पुरानी कलम से जज्बात नही लिखते,

थोड़ा समझ है नादान शिकायत पर ना हताश हो।

 

तुझे पाने की तलब है मुझे

तुमपे हम अपना रंग न चढ़ा सके ये कुठास हो,

मगर कभी कोई परेशानी आये तो कहना,

मैं खुद़ से मिल सकूँ तुम मेरी मिठास हो।

 

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