माता सावित्री बाई का सुंदर उपहार | ऑनलाइन बुलेटिन
©देवप्रसाद पात्रे
परिचय– मुंगेली, छत्तीसगढ़
असहनीय वेदनाओं से भरा इतिहास।
सावित्री बाई का पढ़लो जरा इतिहास।।
मां बहनों के लिए खोला शिक्षा का द्वार।।
माता सावित्री बाई का सुंदर उपहार।
भारत की पहली महिला शिक्षिका महान।
रग-रग में सेवा भावना अपार शिक्षा-ज्ञान।।
है इतिहास गवाह महिलायें कभी न पढ़ी।
चूल्हा-चौकी तक ही संकुचित जीवन गढ़ी।।
थाम हाथ मे कलम शिक्षा का हथियार।
माता सावित्री बाई का सुंदर उपहार।
सदियों से बहुजनों का जीवन,
अनपढ़ता के धार बह गई।
अंधकार में बिखरी जीवन,
पीढ़ी दर पीढ़ी ढह गई।।
बाल विवाह, सतीप्रथा और
जातिगत भेदभाव था।
अंधविश्वासों में जीवन,
चैन-सुकून का अभाव था।
तबाह होते बहुजनों का जीवन
देख न सकी सावित्री बाई।
घर घर में अंधकार का साया
बालिका शिक्षा का बीड़ा उठाई।।
मां-बहनों को मिला पढ़ने का अधिकार।
माता सावित्री बाई का सुंदर उपहार।
पति थे ज्योतिबाराव फुले, जीवन संघर्ष के साथी।
मिलकर करते समाज सेवा, सुख दुख के साथी।
सन 1848 पुणे में विद्यालय खुला पहली बार।
बदले में गोबर, कीचड़ के छींटे, पीड़ा तिरस्कार।।
हार न मानी दिलाया बालिका शिक्षा का अधिकार।।
माता सावित्री बाई का सुंदर उपहार।
कदम कदम पर चुनौतियों से कभी न वो डरती थी।
व्यवस्था परिवर्तन लाने हरपल नई साहस भरती थी।
कभी हार न मानी सावित्री, नया इतिहास बनाने को।
उठा ली शिक्षा का मशाल बहुजनों को जगाने को।।
बहुजनों के जीवन का हुआ उद्धार।
माता सावित्री बाई का सुंदर उपहार।