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बाबा साहब की जीवनी | ऑनलाइन बुलेटिन

@इंदु रवि

परिचय- गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)


 

 

आओ सुनाएं भीम की गाथा

भारत रत्न महान की ।

देश को सुदृढ़ बनाने में,

लगा दी बाजी अपनी जान की ।

14 अप्रैल 1891 में जन्म हुआ था इनका ।

बहुत दर्द भरा संघर्षमय

जीवन था जिनका ।

माता भीमाबाई , पिता सकपाल जी के ध्यान की ।

आओ सुनाएं….।

जब मानव को मानव न समझा जाता ।

गरीब-शोषित-उपेक्षितों को शोषण किया जाता । जाति भेदभाव के कारण कुव्यवस्था को पोषण किया जाता तब जाकर देवता बनें,शोषितों उन बेजुबान की ।

आओ सुनाएं….।

नारियां जब पिटती थी माथा

घर के अंदर घूट – घूट के ।

लिंग भेद भी चरम सीमा पर

रोती रहतीं फुट – फुट के ।

नारियों के भी बने मसीहा,

दिलाये अधिकार हिंदू कोड बिल से ।

कानून मंत्री के पद भी त्यागा था,

थी बात नारियों के सम्मान की ।

आओ सुनाएं…..।

सुख सुविधा और विलासिता छोड़ी थी पढ़ाई में ।

चार-चार बच्चों की कुर्बानी दी थी संघर्ष की लड़ाई में ।

आशातीत करुणामय गाथा विद्वान की ।

आओ सुनाएं…।

अमेरिका,लंदन , इंग्लैंड जर्मनी से पढ़ कर आये थे ।

बहुज्ञ,समाज सुधारक बन देश में खूब छाये थे ।

अर्थशास्त्री राजनीतिज्ञ,विधिवेत्ता बन ; शिक्षित,संगठित,संघर्ष का मंत्र पढ़ाए थे ।

हम चर्चा कर रहें उनके ज्ञान की ।

आओ सुनाएं……..।

ज्ञान के प्रतीक कहलाये

अनुपम संविधान बनाये

प्रथम कानून मंत्री बन

समता,स्वतंत्रता की पाठ पढ़ाये

आजीवन बात किये विज्ञान की आओ सुनाएं……।

नमन है बाबा साहेब को

जो दिनकर बनकर छाये हैं ।

दलितों, शोषितों का उद्धारक बन

देश की शान बढ़ाये हैं ।

6 दिसंबर 1956 का दिन साहेब के निर्वाण की ।

आओ सुनाएं…।।

 

बौद्ध धम्म किए ग्रहण

पंचशील का श्रवण

22 प्रतिज्ञाएं अपनाकर

ढोंग,पाखंड का किए दमन । समानता हेतु बात किए

असमर्थो के अनुदान की…

आओ सुनाएं भीम की गाथा

भारत रत्न महान की…।।

 

 


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