कामयाबी का सूरज बनकर | ऑनलाइन बुलेटिन डॉट इन

©गायकवाड विलास
परिचय- मिलिंद महाविद्यालय, लातूर, महाराष्ट्र
किस्मत के खेल अजीब निराले,
कभी समझेंगे नहीं ये दुनिया वाले।
पल-पल रंग बदलती ये जीवन धारा,
जहां अंजान है वो कल का सवेरा।
सभी जीते है यहां मन में लिए तम्मनाएं,
अच्छे कर्मों के बिना मिलती नहीं सफलताएं।
हाथों में देखकर किस्मत की लकीरें,
आती नहीं कभी जीवन में सुखों की बहारें।
बैठकर युंही देखा न करो ख्वाब कोई,
मेहनत करनेवालों की कभी होती नहीं जग हंसाई।
किस्मत के भरोसे जिंदगी ये जिएं नहीं जाती,
इम्तिहान है ये जिंदगी,युंही सफलता नहीं मिलती।
हार जीत होती रहेगी यहां जीवन में,
हौसला खोने न देना कभी अपने राहों में।
आंधियां तुफान भी आएं तो डगमगाना नहीं,
वही कोशिशें रंग लायेगी एक दिन जिंदगी में।
हारकर रुकना ना जिंदगी में कभी तुम,
ग़म भी हार जायेंगे एक दिन तुम्हारा हौसला देखकर।
जिस दिन सफलता चुमेगी तुम्हारे वो कदम,
उस दिन चमकोगे तुम भी कामयाबी का सूरज बनकर।