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अभियान | ऑनलाइन बुलेटिन

©हरीश पांडल, विचार क्रांति, बिलासपुर, छत्तीसगढ़


 

 

 

एक सशक्त अभियान

चला रहे हैं

गरीबी नहीं, गरीबों को

हटा रहे हैं,

हाड़तोड़ मेहनत कर गरीब

मजदूर, श्रमिक

सर छुपाने के लिए झोपडी

बनाते हैं

उन जगहों से उन्हें हटा कर

भूमाफिया को दे रहे हैं

एक सशक्त अभियान

चला रहे हैं

गरीबी नहीं गरीबों को

हटा रहे हैं,

चिथड़ों में लिपटे मजदूरों और

उनके बच्चों को

रईसों के आसपास रहने का

अधिकार नहीं है

बड़े बड़े कालोनियों के निकट

मलिन बस्ती

धनकुबेरों को स्वीकार नहीं है

उनकी झोपड़ियों पर बुलडोजर

चला रहे हैं

एक सशक्त अभियान

चला रहे हैं

गरीबी नहीं गरीबों को

हटा रहे हैं,

ठंड, गर्मी, बरसात कोई भी

आलम हो

जब चाहे दबंग बलपूर्वक बस्ती

खाली करा रहे हैं

फरियाद उनकी सुनकर जन

प्रतिनिधि

दौड़े चले आ रहे हैं

सामने उनके घडियाली आंसु

बहा रहे हैं

मत तोड़ों आशियाना गरिबों का

भाषण सुना रहे हैं

धनकुबेरों से आपसी तालमेल

बना रहे हैं

कोसों दूर शहर से अटल आवास

बनवा रहे हैं

जिस तरह शौचालय बनवाया

गया था

उसी तरह आवास बनवा

रहे हैं

गरीबों, मजदूरों, श्रमिकों को

काला पानी

की सजा सुना रहे हैं

ऐन केन प्रकारेण गरीबों को

भगा रहे हैं

चंद दिनों बाद उसी मलिन बस्तियों में

रईसों के लिए बड़े- बड़े बंगले

बनवा रहे हैं

एक सशक्त अभियान

चला रहे हैं

गरीबी नहीं गरीबों को

हटा रहे हैं ….


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