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कण-कण में बसा चन्द्र बोस l ऑनलाइन बुलेटिन

©नीलोफ़र फ़ारूक़ी तौसीफ़, मुंबई


 

23 जनवरी 1897, कटक था जन्म स्थान।
भारत के सपूत वीर, चन्द्र बोस जी महान।
भारत के स्वतन्त्र संग्राम में रहे वो अग्रगणी।
मानवता के प्रतीक औऱ विचार के थे धनी।
जापान के सहयोग से दिया हमें बड़ा योगदान,
आज़ाद हिंद फौज गठन का भारत में निर्माण।
तुम मुझे ख़ून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूँगा, नारा।
आज भी भर देता है जोश, लगता बड़ा प्यारा।
सुप्रीम कमांडर के रूप में दिल्ली चलो बोला।
बर्मा, इंफाल, कोहिमा में कॉमनवेल्थ मोर्चा संभाला।
गाँधी जी को राष्ट्रपिता कहकर पुकारा करते थे।
देश के बलिदान हेतु ततपर बोस जी तैयार रहते थे।
आई पी एस की नौकरी का कर दिया त्याग,
भारत के कर्तव्य में बढ़-चढ़कर लिया भाग।
भारत में आजादी का बीज बो कर चले गए,
वतन के लिए आए थे, फिर न जाने कहाँ गए।
पराक्रम दिवस का रूप देकर देश ने किया याद,
ज़रुरत है इस देश को , आ जाओ करते फ़रियाद।
हम सब का सहारा, भारत माँ की आँख का तारा।
देशवासियों के कण-कण में बसा चन्द्र बोस उज्यारा।

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