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बचपन की यादें | Newsforum

©नीरज सिंह कर्दम, बुलन्दशहर, उत्तर प्रदेश

परिचय- शिक्षा – 12th,  रुचि – कविता लिखना, अवार्ड- डॉ भीमराव आंबेडकर नेशनल फेलोशिप राष्ट्रीय अवार्ड 2019, डॉ. भीमराव आंबेडकर नेशनल फेलोशिप राष्ट्रीय अवार्ड 2020-21 के लिए चयनित.


 

 

बचपन की वो यादें, आज जवानी में याद आती है

वो यादें आज हर पल याद आती है, बहुत रुलाती है

सुख दुख से दूर था बचपन, जवानी में यादें रह जाती है,

वो यादें आज हमको बहुत रुलाती है, बहुत याद आती है।

 

था मैं जब छोटा सा, गिरता संभलता बस दोड़ लगाता था

पापा की अंगुली मां का आंचल बहुत याद आता है,

दिन निकलता नहीं, पहले मैं दादा – दादी की गोद में होता था,

दादा-दादी की राजा- रानी वाली कहानियां,अब याद आती है।

 

स्कूल वाले दिनों को भूल नहीं सकते हैं, हम आज भी

ग्रह कार्य के लिए जब स्कूल में गुरु जी से पिटते थें,

बहाने भी सब जब रोज अलग अलग बनाते थे,

सर दर्द, बुआ के लड़के की शादी, बहाने अनोखे होते थे ।

 

गिल्ली डंडा, खो-खो ,खेल अनोखे खेलते थे,

एक – दूसरे से लड़ते-झगड़ते, यारी पक्की वाले करते थे,

घर पर आकर मम्मी पापा से रोज पिटते थें

जब आम – अमरुद के बगीचे से चोरी के करके लाते थे ।

 

मिट्टी के खिलौने, लकड़ी का घोड़ा, बचपन बड़ा सुहाना था,

कभी फटी शर्ट, तो कभी फटा पाजामा होता था,

हेयर स्टाइल का शोक नही, बाल तेल में डूबे होते थे

खुजलाते सर को, जब जूंओं का निवास सर में होता था ।

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आज बदल गया सब कुछ यहां, डिजीटल हो गया है,

आज बच्चा भी स्मार्टफोन में कार्टून देखता है,

सामने वाला यार नही, सोशल मीडिया पर यार हजार है

मिलने का किसी को वक्त नहीं, सब इतना फास्ट हो गया।

 

फैशन का ये कैसा दौर आया, सबकुछ इतना बदल गया

मम्मी पापा को अब नमस्ते नही, हेलो डियर, हाय डार्लिंग हो गया,

मां बाप के लिए वक्त नहीं, यारों संग नशें में दिन गंवाया,

इससे बेहतर तो अपना बचपन था, सबके साथ बिताया ।

 

आज बचपन बड़ा याद आता है, आंखों में आंसू दे जाता है,

बचपन की हर वो चीज याद आती है, संग जिनके बचपन बिताया,

मिट्टी के खिलौने, लकड़ी का घोड़ा, बचपन बड़ा सुहाना था,

बचपन में जो सुख पाया, कहां ऐसा सुख अब मिल पाएगा,

ये बचपन भी अब ना लौटकर वापस आएगा ।

 

ना जानें कितनी यादें बचपन की, कैसे तुमको बतलाऊ मैं

बचपन का हर किस्सा, कैसे तुमको दिखलाऊ मैं,

बचपन था सबसे न्यारा, बचपन था सबसे प्यारा

बचपन अब जुदा हो गया, यादों से लगाव हो गया ।

 

बचपन की वो यादें, आज जवानी में याद आती है

वो यादें आज हर पल याद आती है, बहुत रुलाती है

सुख दुख से दूर था बचपन, जवानी में यादें रह जाती है,

वो यादें आज हमको बहुत रुलाती है, बहुत याद आती है ।

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