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रिश्तों में दरारें | ऑनलाइन बुलेटिन

©पुष्पराज देवहरे भारतवासी, रायपुर, छत्तीसगढ़


 

रिश्तों में दरारें बहुत हो रही आज

रिश्ता विश्वास से निभाया जाये ||

 

बिछड़ रहें है रोज हजारों लोग.

बिछड़े को फिर से मिलाया जाये ||

 

क्यों खुद को मारे पीड़िता रोज

पीड़िताओ को अपनाया जाये ||

 

धर्म के नाम पर मत लड़ो यारों

आओ एकता का धर्म बनाया जाये ||

 

क्यों फुटपाथ पर ठीठूरे लाखों लोग

उनके लिए आशियाना बनाया जाये ||

 

प्रकृति से छेड़छाड़ होती है बुरीबला

पेड़ लगाकर प्रकृति को बचाया जाये ||

 

वो भी बनेगी कल्पना चांवला एक दिन

न मारो गर्भ में, बेटियों को भी पढ़ाया जाये ||

 

बेटियां ही दहेज़ होती है घर का साहब

दहेज़ के नाम पर बेटियों को न मारा जाये ||


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