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पापा; मेरा आसमां | newsforum

©प्रीति विश्वकर्मा, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश


 

 

मेरी खुशियों की खातिर,

त्याग पे त्याग जो करता …

त्यौहार आने से पहले,

जिससे फ़रमाइशें करते …

इन तमाम फ़रमाइशों को,

पूरी वो करते …

इस नन्हे से परिन्दे का ,

पिता ! नीला आसमां होते

 

शून्य से उठाकर के,

शून्य तक लेकर वो जाते …

जिसका महत्व बतलाने में,

शब्दों की कमी रहती …

जिसके साये में मुझको,

जहां की हर खुशी मिलती …

जन्नत इनके पैरों में,

खुदा भी ऐसा बतलाते

इस नन्हे परिन्दे का,

पिता ! नीला आसमां होते …


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