.

बेटी से ही घर की शान है l ऑनलाइन बुलेटिन

©गुरुदीन वर्मा, जी.आज़ाद

परिचय- बारां(राजस्थान)


 

 

 

बेटी से ही, घर की शान है।

बेटी से ही , घर का सम्मान है।।

अनमोल है जग में , बेटियां।

बेटी से ही , घर का मान है।।

बेटी से ही———————।।

 

 

मुकाम कौनसा , नहीं पाया बेटी।

देश की सत्ता , संभाली बेटी ने।।

नाप लिया आसमान, बेटी ने।

देश की शान, बढ़ाई बेटी ने।।

बेटों से नहीं कम, बेटियां।

बेटी ही घर का, अभिमान है।।

बेटी से ही——————–।।

 

 

खुशकिस्मत है वह इंसान।

जिसके घर बेटी, पैदा हुई है।।

जिसने दिया, सम्मान बेटी को।

ख्याति उसकी, दुगनी हुई है।।

बेटी बिना , सूना है आँगन।

बेटी ही घर का, स्वाभिमान है।।

बेटी से ही———————-।।

 

 

घर का वारिस, मानो बेटी को।

बेटी से भी, गौरव बढ़ता है।।

कोख में , नहीं मारो बेटी को।

बेटी से भी , वंश बढ़ता है।।

बनती है बेटी, बुढ़ापे की लाठी।

बेटी भी तो, एक सन्तान है।।

बेटी से ही——————–।।

 


Back to top button