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श्रद्धा, आस्था और हर्षोल्लास का पर्व दीपोत्सव | Onlinebulletin

©डॉ. कान्ति लाल यादव, सहायक आचार्य, उदयपुर, राजस्थान


 

दीपावली -“दीप” अर्थात  “दीया” औ “अवली” अर्थात् श्रृंखला, कतार पंक्ति से है। दीयों की कतार वाला त्योहार। पद्म पुराण में एवं स्कंद पुराण में दीपावली का उल्लेख मिलता है। दीपोत्सव त्योहार कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है।

 

दीपोत्सव सिर्फ हिंदू धर्म में ही नहीं बल्कि दूसरे धर्मों में भी मनाया जाता है। हिंदू, बौद्ध, जैन, सिख धर्म में भी दीपावली जैसा पावन प्रकाश, रोशनी, उजाले का त्योहार मनाया जाता है। सभी धर्मों में दीपावली मनाने के कई अलग-अलग कारण हैं।

 

हिंदू धर्म में राम का 14 वर्ष वनवास पूर्ण कर अयोध्या लौटने की खुशी में अयोध्या वासियों के द्वारा स्वागत खुशी में दीप को जलाकर इस पर्व को मनाने की परंपरा मानी जाती है तो कृष्ण के द्वारा नरकासुर का वध भी इसी दिन को किया था। पांडवों के वनवास एवं अज्ञात अज्ञातवास पूर्ण करने का दिन भी यही था। जिसकी खुशी में भी दीपावली मनाई जाती है।

 

देवताओं और राक्षसों के द्वारा सागर मंथन के दौरान लक्ष्मी का आविर्भाव का दिन भी यही था। इसलिए इस खुशी में भी दीपावली मनाई जाती है।पौराणिक मान्यता के अनुसार इसी दिन विष्णु ने हरण्याकश्यप का वध नरसिंह रूप धारण कर किया था। इसलिए इन सभी शुभ दिनों को इस पर वह को प्रकाश पर्व अर्थात दीपावली के रूप में मनाया जाता है।

 

बौद्ध धर्म में दीपावली का महत्त्व यह बताया जाता है की गौतम बुद्ध ने इसी दिन अपनी जन्मभूमि कपिलवस्तु में 18 वर्ष के बाद पुनः पधारे थे। तब नगर वासियों ने उनके आने की खुशी में उनका दीपोत्सव मना कर भव्य स्वागत किया था और उन्होंने “अप्पो दीपो भव” अर्थात् ‘अपने दीपक स्वयं बनो’ का उपदेश दिया था। सम्राट अशोक ने दीपावली के दिन ही बौद्ध धर्म को ग्रहण किया था तथा वे अहिंसा वादी बन गए थे।

 

जैन धर्म में दीपावली मनाने का कारण भगवान महावीर स्वामी का “निर्वाण दिवस” भी इसी दिन का होना माना जाता है। सिख धर्म में दीपावली को मनाने का औचित्य सिख धर्म के छठवें गुरु हरगोविंद का मुगल सम्राट जहांगीर द्वारा जेल से इसी दिन रिहा करना।

 

अमृतसर में स्वर्ण मंदिर का शिलान्यास भी इसी दिन हुआ था। इस त्योहार को मनाने का यह भी कारण है कि किसान अपनी कृषि से पैदा किए गए अन्न भंडार से प्रसन्न होकर भी खुशियां मनाता है और घी के दीए जलाता है। जिसकी खुशी में आज पटाखों का प्रचलन हो गया है जो ध्वनि प्रदूषण कर रहा है और वातावरण को प्रदूषित कर रहा है जिससे हमारे मानव समाज पर ही नहीं बल्कि प्रकृति पर बुरा असर पड़ रहा है।

 

हम इस त्योहार को मनाने की खुशी में मिठाइयों को बांटते हैं किंतु मिठाइयों में भी मिलावट होने से इंसान पर उसका भी दूषित प्रभाव पड़ रहा है। इंसान कई बीमारियों से ग्रसित हो रहा है। हमें मनुष्य समाज को एवं प्रकृति को स्वस्थ रखना है। यह हमारा नैतिक कर्तव्य है। इसके लिए हम दीप जला कर के दीपोत्सव मनाएं।

 

कम खर्चे का त्योहार हमें ज्यादा सुकून देगा और खुश रखेगा। ऐसे पावन पर्व पर हम दीए के सामने संकल्प लें। हम समाज में फैली बुराइयों को नष्ट करें। अपराध से बचें। आओ मिलजुल प्रेम से रहे। व्यक्ति, समाज विकास करें। राष्ट्र का नवनिर्माण करें।


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