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धरती हमारी जीवन दाता | ऑनलाइन बुलेटिन

©उषा श्रीवास, वत्स

परिचय– बिलासपुर, छत्तीसगढ़.


 

 

धरती की मखमली गोद में सदा ही जीवन चलती है।

शस्य श्यामला इस धरती पर जीवन नन्ही पलती है।।

 

हरे भरे वृक्षों से सज्जित शीतल पवन चलाती,

नदियों की बहती धारा कल-कल नीर बहाती,

नैतिक जिम्मेदारी अपनी धरा का हर कोना महका दें,

सारे रिश्ते नाते धरती पर सबको गले लगाती।

 

धरती की लीला न्यारी कहीं धूप कहीं छांव लाती,

कहीं ओढ़ लेती धानी चुनर कहीं बसंती यौवन पर इठलाती,

ना भूलें इनके उपकारों को धरती को स्वर्ग बना दें,

शस्य उपजता श्यामल अंबर धरती मस्ती में लहराती।

 

सूर्य निकलता चाँद निकलता धरती देख मुस्काती,

खेतों में हरी भरी फसलों को देख धरती कितना सुखपाती,

वन नदियाँ पर्वत सागर गरिमा धरती की,

भेदभाव नहीं जानती हर दिन नया रंग दिखलाती।।

 

धरती की मखमली गोद में सदा ही जीवन चलती है।

शस्य श्यामला इस धरती पर जीवन नन्ही पलती है।।


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