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नाकामयाब प्यार | ऑनलाइन बुलेटिन

©पुष्पराज देवहरे भारतवासी 

परिचय– रायपुर, छत्तीसगढ़.


 

 

अपनी चाहत को उसे बता न पाया

दिल में कितना प्यार है दिखा न पाया ||

 

कोशिशें तो लाख की तुम्हें बताने की

 हर – बार तुमसे आँखे मिला न पाया ||

 

तुम्हारे जाने पर लोग पूछते रहे मुझसे

मगर आँशुओं को कभी छुपा न पाया ||

 

मैं मदहोस सोया रहता था हरदिन

उजाले में कभी खुद को जगा न पाया ||

 

तुम्हारे खत को रोज पढ़कर सोता था मैं

चाहकर भी कभी खत को जला न पाया ||

 

मैं रोज कहता हूँ लोगो से भूल गया तुम्हें

लेकिन ये सच है कि तुम्हें भुला न पाया ||


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