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परिवार | Newsforum

©प्रीति विश्वकर्मा, ‘वर्तिका’, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश

परिचय- अवध विश्वविद्यालय से 2017 में बीएससी किया, कोचिंग क्लास का संचालन.


 

 

स्नेहिल धागों से बुना गया, रिश्तों का यह अद्भुत जाल,

खट्टी मीठी ये यादें संजोये, लाड़ प्यार संग गुजरे साल |

 

दादी सुनायें किस्सा कहानी, मम्मी गा के लोरी सुलायें,

जब आये कोई समस्या, एकजुट होकर इसे सुलझायें |

 

मम्मी लगावें काला टीका, बुआ नजर उतारे बारम्बार,

कुटुंब लगे स्वर्ग सा सुन्दर, रिश्तों में जो हो प्यार अपार |

 

भाई – कलाई सजती राखी, रक्षा बन्धन का यह धर्म,

बहन भाई की प्यारी दोस्त, बहन की रक्षा भाई का कर्म |

 

सुख की छांव या हो गम के बादल, कभी ना छोड़े साथ,

जल्दी जल्दी हो जाये सब काम, बांटे एक दूजे का हाथ |

 

दादा सिखलाये धर्म की बातें, दादी देती है संस्कार,

गीता पढ़ना कभी सिखाये, कभी देते हैं ग्यान अपार |

 

महत्व बहुत है परिवार का, इन्होंने दिखलाया संसार,

अपनत्व में सबको बांधे रखे, पक्की डोर बांधे परिवार |

 

कर्म यही यही है धर्म, परिवार से ही है जीवन का मर्म,

जब रिश्ता थोड़ा बिगड़े, दूजा पड़ जाता थोड़ा नर्म |


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