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दोस्ती | ऑनलाइन बुलेटिन

©संजय वासनिक, वासु

परिचय– चेंबुर, मुंबई.


 

धीरे धीरे उम्र ढल जाती है…

ये जिॅदगी यादों की,

एक किताब बन जाती है…

कभी किसी की यादें बहुत सताती है…

तो कभी किसी की यादों के,

साहारे जिंदगी कट जाती है…

 

कुछ यादें भुलाई जाती नहीं…

कुछ रिस्ते तोड़े नहीं जाते ..

इंसान अगर बदल भी जाये तो,

एक बार जुड़े हुये दिल बदल नहीं जाते…

 

शक्लें भी बदल जाये कभी तो,

पहचान बदली नहीं जा सकती …

रास्ते भी जुदा हो जाये कभी,

पर आस मिलन की खत्म नहीं होती…

 

चलते हुये पावं लड़खड़ाएंगें,

मगर चलना कभी रुक सकता नहीं …

दूरियां अगर बढ़ भी जाये तो…

एक बार किया प्यार भुलाया जाता नहीं…

आपस में बात गर ना हो पाये तो भी …

यादों का सिलसीला कभी रुकता नहीं …

 

साहील पर बैठकर सागर का,

खजाना मिलता नहीं यारो…

जिंदगी में दुबारा पुराने,

वही दोस्त मिलते नहीं यारों…

 

हर एक पल जीलो जी भरके दोस्तो…

फिर कभी दोस्ती में गुजारे हुये,

वो हसीन पल आते नहीं…

वो कभी हंसने के,

कभी रोने के पल आते नहीं…

रोने के पल आते नहीं…


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