फगुवा मनुहार | ऑनलाइन बुलेटिन
©राजेश श्रीवास्तव राज
परिचय– गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश.
तोटक छंद
मात्रा विधान =112,112,112,112
फगुवा सब खेलत हैं जबहीं।
कुछ नाचत गावत हैं तबहीं।।
मनुहार करावत भीगत हैं।
रस प्रेम सरोवर डूबत हैं।।
कुछ रंग लगावत आवत हैं।
कहिं छेड़त जात दबोचत है।।
ढप ढोल मृदंग बजा जबहीं।
सब भंग चढा मटकैं तबहीं।।
बहु भांति यहां हुड़दंग मचा।
तब भंग पिला ढप ढोल बजा।।
कहिं आलय सुंदर हैं सजते।
बहु रंग पुष्प लटके रहते।।