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गुरु नमन | Newsforum

©महेतरू मधुकर (शिक्षक), पचेपेड़ी, बिलासपुर, छत्तीसगढ़


 

मन के अंधियारा म,

कर देहे अंजोर।

नमन बारम्बार गुरु,

पंईया लागंव तोर………….

रीता रहिस मोर बुद्धि,

भरे ओमा गियान।

निचट अढ़हा रहेंव गुरु,

बनाये तंय सुजान।।

जीवन म मोर बिदिया के,

बरसा बरसाये घनाघोर…….

ए जीवन ह बनगे सुन्दर,

पाके तोर आसिस।

मन ह निरमल होगे गुरु,

नंदागे कपट रीस।।

पाके संग संवरगे जिनगी,

रंगे हेवय सराबोर…………

देहे मया दुलार मोला,

लईका अपन जान।

सुरुज नवा उगे हेवय,

होगे सोनहा बिहान।।

जीयत भर झन छुटय,

मया के ए डोर…………….


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