हमर छुरी के कोसा …
©द्रौपदी साहू (शिक्षिका), कोरबा, छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ म कोरबा हमर,
बन -झारी के डेरा हे।
जिहां मिलथे साल, शीशम,
अऊ कोसा के कीरा हे।
ए सोनहा कीरा हर सुघ्घर,
कोसा ल बनावत हे।
जेला बुन के मनखे मन,
अपन घर चलावत हें।
डाबा, रैली, बरफ, बनेला,
कोसा के परजाती हे।
चमकीला, सादा, मटमैला, सोनहा,
ए कोसा के रंग हे।
सोनहा कोसा ल बुन के भइया,
सुघ्घर ओनहा बनावत हे।
घर बइठे मनखे घलो मन,
कारोबार चलावत हें।
छुरी के कोसा कपड़ा ल,
दुनिया हर सहरावत हे।
जघा-जघा ले आनी-बानी के,
लोगन इंहा आवत हें।
सुघ्घर-सुघ्घर साड़ी, कुरता,
अऊ पैजामा देखत हें।
चद्दर अऊ साल घलो,
अपन संग म लेगत हें।
झटकुन ए हर जुन्नावय नहीं,
अइसन हमर कोसा हे।
जेतके धोबे, ओतके चमकही,
अइसन हमर कोसा हे।
नोनी पहिरे, बाबू पहिरे,
चुकचुक ले सब ल फबत हे।
पूजा-पाठ के डेरा घलो म,
एला पबरित मानत हें।
छुरी म कोसा कपड़ा के,
अब्बड़ कन दुकान हे।
हमर कोसा नगरी के
चारो मुड़ा बखान हे।
छत्तीसगढ़ के कोरबा म,
छुरीगढ़ महान हे।
छत्तीसगढ़ के कोरबा म
छुरीगढ़ महान हे।
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