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खरीदी नहीं जाती खुशियां | Newsforum

©बिन्दुलता राठौर, शिक्षक, कोरबा


 

जीवन में पैसों से ही नहीं खरीदी जाती खुशियां ,

कभी किसी की मदद करके तो देखो,

पैदल बैग लटकाए खाली पैर चल रही बच्ची को,

एक जोड़ी जूता पहनाकर तो देखो,

जीवन में पैसों से ही नहीं खरीदी जाती खुशियां,

कभी बारिश के दिन में स्कूल की छुट्टी के बाद,

भीगते जा रहे छोटे बच्चे को बारिश से बचा के तो देखो,

जीवन में पैसों से नहीं खरीदी जाती खुशियां,

सुबह से घर में कुछ खाना ना होने के कारण,

भूखे पेट स्कूल आये बच्चे की भूख मिटा के तो देखो,

जीवन में पैसो से ही नहीं खरीदी जाती खुशियां,

एक लिखने पढ़ने वाली बच्ची के पास पेंसिल कापी नहीं होने पर,

उसे पेंसिल कापी दिला कर मुस्कुरा कर तो देखो,

जीवन में पैसों से ही नहीं खरीदी जाती खुशियां,

स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे की घर की स्थिति ठीक नहीं होने पर,

उसके मायूस मन को समझ कभी उनके साथ हंसा -गा के तो देखो,

जीवन में पैसों से ही नहीं खरीदी जाती खुशियां

स्कूल में पढ़ने वाले छोटे बच्चे छोटे तो होते हैं,

मगर घर के जिम्मेदारी भी उठाते हैं,

उन्हें घर की जिम्मेदारियों से मुक्त कर,

उन्हें उनके बचपन की खुशियां दिला कर तो देखो,

स्कूल में कई तरह के बच्चे होते हैं,

कभी स्कूल का माहौल को बच्चों के लिए,

खुशियों से भर कर तो देखा है,

जीवन में पैसों से भी नहीं खरीदी जाती खुशियां

बच्चों को समझ कर,

एक अच्छे शिक्षक की भूमिका में,

उनका दोस्त बनकर तो देखो …


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