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हरेली तिहार मनाबो | Onlinebulletin

©पुष्पराज देवहरे भारतवासी, रायपुर, छत्तीसगढ़


 

छोटकी, बड़की, नोनी बाबू

आवव सब झन जूर मिलके

हरेली तिहार मनाबो,

छत्तीसगढ़ के ये पहली तिहार

पुरखा मनके संस्कृति ला

जन – जन तक पहुंचाबो

हरेली तिहार तिहार मनाबो,,

 

 

नांगर, तूतारी, के पूजा करबो

चीला सोहाँरी के भोग लगाबो

गेड़ी म चढ़के, धमा चौकड़ी करबो

हमर संस्कृति ला बचाबो

हरेली तिहार मनाबो,,

 

 

 

 

सावन के महीना

धरती दाई हरियर लुगरा

ला फैलावत हे

चिहुँर – चिंहुँर चिरई के बोली

अउ कोयली घलो,

मधुर तान सुनावत हे

बगिया महक उठे हे

सुघर  – सुघर  फुलवारी म

भंवरा घलो सुघर  गीत गावत हे

खिल – खिला उठे हे  जगसारा

आसमान मे बादर घलो लुकावत हे

 

 

रुख राई हे जीव के आसा

बिन एकर नई चले स्वांसा

परकरीती ला बचाये खातिर

आवव पेड़ लगाबो,

आवव संगी जूर मिलके हम

हरेली तिहार मनाबो,,

 

 

 

किसान हवै जन बर वरदान

सबके भूख मिटाथे

कतको, दुःख पीरा, ला सहिथे

कोनो ला नई गोहराथे

दिन रात वो मेहनत करके

सबके भूख मिटाथे,

आओ संगी जूर मिलके

एकर मान बढ़ाबो

पुरखा मन के संस्कृति ला

जन जन तक पंहुचाबो

हरेली तिहार मनाबो ||

 


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