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विरासत है धरोहर | ऑनलाइन बुलेटिन

©ममता आंबेडकर

परिचय– गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश


 

आज अपनी कलम से ।

कुछ लिखना चाहती हूं।

 

समझ जाओ जो तुम मैं

तुमको वह बात बताती हूं।

 

खजाने से कम नहीं जो

धरोहर मैं अपने शब्दों से।

 

चलो आओ तुमको।

उनकी सैर कराती हूं।

 

विश्व में है सुंदर सुशोभित स्थल।

जिन को देखने से

 

बन जाए तुम्हारे मन भावन पल।

जरा अपना दायरा बढ़ाओ

 

कब तक बैठोगे यूं ही।

कदम बढ़ा कर घर से बाहर आओ।

 

अब तो है ना जाने कल हो ना हो यह पल।

 

 

देखो सब एक है एक विशाल कमल

है तो भारत का ताजमहल।

 

अंतरिक्ष से दिखती चीन की एक दीवार

कहीं जगत में है कई ऊंची ऊंची मीनार।

 

ऐसे कैसा था गणित और भौतिक विज्ञान

जो बनाए उन्होंने विरासत इतने महान।

 

कहां से लाते थे वह इतना साहस और

अकल तभी तो है विश्व मैं यह सुंदर स्थल।

 

 

कहीं अजंता जैसे गुफा है ।

तो कहीं अद्भुत मंदिर।

तो कहीं किला।

 

जाकर देखो और जानों क्या था

मसला है क्या इनका सिलसिला।

 

नहीं बन सकती जिंदगी कोई

नकल है विश्व में कई सुंदर स्थल।

 

 

प्रतिभा और कला का यह संगम जिसमें

छिपा है हमारा अतीत जिस कारण है अब हम।।

 

जो ऐतिहासिक है देते प्रेम त्याग और

शिक्षा का पाठ ऐसे हैं अजूबे आठ।।

 

 

जो व्याकुल हो मन तो जाओ देखो

बुद्ध प्रतिमाओं को और स्तुपाओं को।

 

तो मन का वन भी बन जाएगा

मधुबन और शीतल हो जाएगा तन

 

 

अगर जो बाहर जाओगे तभी तो

जान पाओगे कि विरासत है धरोहर।

 

यहीं इसी धरा पर जिसको

तुम कहते हो अपना घर।।

 

 

हरियाली की सौंदर्यता है

पुष्पों की गलियां है।

 

ऐसे हैं कुछ स्थल जिनके महज

प्रति बिंबोसे ही दिन हो जाता है मंगल।

 

18 अप्रैल 1983 से मनाया जाता है

विश्व विरासत दिवस


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