आलोचना और प्रशंसा में छिपा रहस्य | newsforum
©संजय वासनिक, चेंबुर, मुबंई
आलोचना में छिपा हुआ “सत्य”
“और”
प्रशंसा में छिपा “झूठ”
यदि मनुष्य समझ जाये तो, आधी समस्याओं का समाधान अपने आप हो जायेगा।।
आलोचना में छिपा हुआ “सत्य”
“और”
प्रशंसा में छिपा “झूठ”
यदि मनुष्य समझ जाये तो, आधी समस्याओं का समाधान अपने आप हो जायेगा।।