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मैं कैसे अछूत | Newsforum

©सीमा वर्मा, (सरू दर्शिनी), बिलासपुर, छत्तीसगढ़


 

 

सफाई कर्मी दिवस पर विचारशील कविता

 

सबका मैला सर पर ढोकर,

वातावरण स्वच्छ बनता हूं |

 

मैला करने वाले शान से जीते,

मैं अपमान भरा जीवन बिताता हूं |

 

कचरा मैला तुम फैलाते रहते हो,

मैं समेटता फिरता रह जाता हूं |

 

तुम साफ सुथरे बने घूमते हो ,

मैं फिर भी कचरा वाला कहलाता हूं |

 

तुम बन जाते सम्मानित व्यक्ति,

मैं नीच जाति का कहलाता हूं |

गर एक दिन ना करूं सफाई का काम,

खुद की गंदगी से हो जाओगे हलाकान |

 

मैंने दिया वातावरण स्वच्छ तुमको,

तुमने क्या किया! बस मुझसे घिन |

 

मैं सफाई कर्मी ओह! माफ़ कीजिए,

आपके हिसाब से कचरा वाला |

 

पूछता है सिर्फ एक ही सवाल,

अपने ह्रदय से देना मुझको आप जवाब |

 

गर कचरा फैलाने वाला है श्रेष्ठ,

तो फिर भला मैं कैसे हुआ अछूत?

 


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