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हमसफर | ऑनलाइन बुलेटिन

©जलेश्वरी गेंदले, शिक्षिका. 

परिचय- पथरिया, मुंगेली, छत्तीसगढ़


 

आपके साथ जो मुझे जीवन मिला

मेरी खुशियों का यह गुल खिला।

दिल से शुक्रिया….

 

चर्चाओं में रहते हैं आप

कुछ पुरुष स्वार्थ जीवन जीते हैं

वो क्या जाने कि कुछ पुरुष

गमों का जहर भी पीते हैं।

दिल से शुक्रिया….

 

जीवन संगिनी संग विचार मिले

तो जीवन का नैया पार लगे

नहीं तो जीवन में खुशी बिना

कैसे घर द्वार चले?

दिल से शुक्रिया……

 

मां -बाप, भाई-बहन, बच्चे,

पत्नी, परिवार सब की नजर

आप पर ही टिकी रहती है

जब भी कोई विपत्ति आये

सारा दोष आप पर ठहरे।

अपना दुख वो भला किनसे कहें?

दिल से शुक्रिया…..

मेरा जीवन घर संसार खुशियां हैं अपार

मिला मुझे जो आपका भावात्मक स्नेह

सुकून से है आज मेरा घर परिवार।

दिल से शुक्रिया…….

 

 

मैंने पढ़ा महात्मा ज्योतिबा फुले को

ग़र महात्मा ज्योतिबा फुले न होते

समझते नहीं पुरुष स्त्री को

न शिक्षा देते न संग ले चलते

 सावित्री फुले न पढ़ी होती

आज नारियां शिक्षा से दूर होती।

दिल से शुक्रिया….

 

लाखों दुख प्रताड़ित व्यवहार सह गए फुले

फिर भी वह कभी मानवता ना भूले

नारी है जननी, नारी है संगिनी, नारी ही प्रेरणा

नारियों का मान बढ़ा गए ज्योतिबा फुले

नारी को जाना नारी के उद्धार के लिए

नारी शिक्षा के लिए संघर्ष किए

रहे होंगे वो कितने महान

ऐसे महापुरुष को मेरा

दिल से प्रणाम……

 

मैंने पढ़ा है माता रमाबाई को

पुरुष के सुख-दुख विचार, संघर्ष

भूख प्यास सब में संग चली

एक महापुरुष ने संविधान लिखा

गरीब वंचितों को अधिकार दिए

सदियों से जुल्म से प्रताड़ित

महिलाओं के अधिकारों को

“हिंदू कोड बिल” बनाया

हिंदू कोड बिल जब होने न दिया पास

तो मंत्री पद से इस्तीफा देकर रच गए इतिहास

कितना रहा होगा वो महापुरुष महान

जो देश हित में लिख गए भारत का संविधान

जिन्हे करती हूँ मैं सादर प्रणाम।

 दिल से शुक्रिया………

 

मैंने जाना संविधान में

मिले ना होते अधिकार तो

मैं लिख न पाती आज ये।


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