.

हमर खेत …

©राजेश कुमार मधुकर (शिक्षक), कोरबा, छत्तीसगढ़


 

हरियर-हरियर चारो कोती,

ममहावत हावय हमर खेत।

सोन बरोबर लागे जी संगी,

चमचमावत हावय हमर खेत।।…..

 

हमर किसानी चालू होगे

जेन दिन ले धान बोये हन

मानसून के जुआ खेले हन

सोचत हन भरही हमर पेट

हरियर-हरियर चारो कोती

ममहावत हावय हमर खेत

 

हमन थरहा खेत म देयेन

माई पीला खेत म गयेन

पानी गिराई के मजा लेत

थरहा ल देयेन एकेच नेत

हरियर-हरियर चारो कोती

ममहावत हावय हमर खेत

 

करगा, बन, दूबी ल नींदेन

खेत ले ऐमन ल हम खेदेन

ऐमन धान के हावय केत

हवन समय म पानी देत

हरियर-हरियर चारो कोती

ममहावत हावय हमर खेत

 

धान बरोबर माथ नवादीच

दुख पीरा ल ऐहर गवाँ दीच

हसिया ल रहिबे बने तै टेत

होगे हावय अब लुये के नेत

हरियर-हरियर चारो कोती

ममहावत हावय हमर खेत

 

जउन ल देख किसनहा मन

खुशी मनावत हे सब झन

धान दिखत हे जम्मों खेत

खेत हर हावय मन हर लेत

हरियर-हरियर चारो कोती

ममहावत हावय हमर खेत  …

 


गीतरचनाकविताकहानीगजलचुटकुलाछत्तीसगढ़ी रचनाएं, लेख आदि सीधे mail करें newsforum22@gmail.com पर, रचना के साथ दें अपनी एक फोटो, मोबाइल नंबर के साथ, शहर राज्य का नाम भी लिखें.

Back to top button