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भूख …

©संजय वासनिक, चेंबुर, मुबंई

 


 

मिट्टी का चूल्हा

चूल्हे पर देग

देग में पाणी

झूठी कहानी

पेट की आग

बुझाये ना पाणी

चूल्हे में लकड़ी

लकड़ी टेढ़ी मेढ़ी

टेढ़ी लकड़ी में आग

आग पीली और लाल

लाल लाल अंगारे

अंगारों पर राख

राख की परत

परतों के नीचे

दबा हुआ कोयला

कोयला जला हुआ

जलकर भी गरमाहट

रखा है तनबदन में

हल्की सी हवा के

चलते ही उड़ेगी राख

फिर जीवित होंगे

कोयले के अंगारे

लड़ेंगे फिर से

भूख को मिटाने

मरेंगे या जियेंगे …

भूख को मिटाने …

 


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