.

बन्द लिफाफे में | ऑनलाइन बुलेटिन

©गुरुदीन वर्मा, आज़ाद

परिचय– गजनपुरा, बारां, राजस्थान.


 

ऐसा क्या लिखा है आपने,

इस बन्द लिफाफे में,

हमें जो सौंप रहे हो आज तुम,

अब तक क्यों रहे खामोश तुम,

जब देना ही था यह बन्द लिफाफा।

 

क्या आपने किया था कबूल,

कल को मेरा वह लिफाफा,

जो देना चाहा था मैंने तुमको,

बताने को तुम्हारे लिए मैंने,

आपका सच्चा प्यार दिल में।

 

आज छोड़कर अपनी जमीन,

क्यों चले आये देने को यह लिफाफा,

क्या लिखा है मेरे लिए सम्मान,

मेरे लिए प्यार और समर्पण,

सच्चे दिल से इस बन्द लिफाफे में।

 

क्या मौजूद है इस बन्द लिफाफे में,

तेरी आँखों से गिरते आँसुओं की बूंदे,

सच्चे प्रेम को दिखाती खून के छींटे,

या फिर किया है मुझको खबरदार,

इस बन्द लिफाफे में शब्दों से।

 

मैं जरूर खोलूंगा यह बन्द लिफाफा

तुम्हारी मौजूदगी में महफ़िल में,

लेकिन पहले खोलिये मेरा बन्द लिफाफा,

जिसमें दिया है तुमको मैंने सच्चे मन से,

सम्मान और महत्त्व इस बन्द लिफाफे में।


Back to top button