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छोटे-छोटे इन पंखों के सामने, हर एक तूफान ठहर जाता है, हो अगर आग हमारे हौसलों में, तो बर्फ भी पानी बन पिघल जाता है | ऑनलाइन बुलेटिन डॉट इन

©पूनम सुलाने-सिंगल

परिचय- श्रीनगर से….


 

In front of these small wings, every storm stops, if there is fire in our spirits, then even the snow melts into water.

 

आज का विचार….

 

” छोटे-छोटे इन पंखों के सामने

हर एक तूफान ठहर जाता है

हो अगर आग हमारे हौसलों में

तो बर्फ भी पानी बन पिघल जाता है”

 

श्रीनगर के दिन की शुरुआत का तापमान -1° यानी आसमान से गिरता हुआ पानी भी बर्फ बन के जमीन पर आ रहा है। ऐसे शून्य से नीचे के तापमान में हमारे देश की सीमा पर तैनात देश के जवानों की और सामान्य लोगों की दिनचर्या कैसी होती होगी यह सवाल कुछ दिनों पहले हमारे भी मन में उठा करता था,, मगर आज प्रत्यक्ष रूप में इसे देख कर हम स्वयं अनुभव कर रहे हैं कि,, हमारे देश के अन्य भागों में दिन के 15° से ऊपर तापमान होने के बाद भी जहां एक तरफ हम लोग परेशान हो जाते हैं। वहीं पर माइनस टेंपरेचर में भी छोटे-छोटे पंछियों से लेकर देश के जवान और सामान्य लोग जो यहाँ मजदूरी करते हैं सभी बिना ठहरे अपने काम पर लगे हुए हैं।

 

इसका मतलब यह नहीं है कि इनको किसी भी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ रहा होगा क्योंकि रात भर से चल रही बर्फबारी के चलते यहाँ के आसपास के सभी गाँव और शहरों की लाइट कट जाती है। ऐसे समय में लकड़ी की आग और केरोसीन के सिवा ठंड से बचने का दूसरा कोई साधन यहाँ पर काम नहीं करता। ज्यादा बर्फबारी हो रही हो तो एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए यहां पर छाता का भी इस्तेमाल नहीं कर सकते क्योंकि,, पूरी बर्फ जम जाती है। ऐसे में बर्फ से बचने के लिए पैरों में प्लास्टिक के जूते तथा प्लास्टिक से ही कवर किए गए जैकेट्स पहनकर जवानों को अपनी ड्यूटी पर जाना होता है। रास्तों पर पड़ी हुई बर्फ बड़ी-बड़ी गाड़ियों से हटाने का काम लगातार चल रहा होता है।

 

श्रीनगर की ऐसी सर्दी में खानपान में सबसे ज्यादा उपयोगी आने वाली सब्जी में आलू का सबसे प्रथम स्थान होता है ठीक उसी तरह यहां के लोग जिसे लोकल मुली कहते हैं इनका भी बहुत ज्यादा उपयोग होता है अगर मौसम सही हो तो बेर को छोड़कर लगभग सभी प्रकार के फल यहाँ पर मौसम के अनुसार उपलब्ध हो जाते हैं हाँ मगर,,दिसंबर से लेकर मार्च तक यहाँ किसी भी प्रकार के फूल आपको देखने के लिए नही मिलेंगे क्योंकि,,सर्दी के चलते देवदार के वृक्षों की पतझड़ छोड़कर बाकी सभी पेड़ों की पतझड़ हो जाति है।

 

यहाँ खेत में लगे हुए प्याज, मूली,गाजर,हरी मिर्च,देशी खीरा जनवरी महीने से पहले ही उपयोग में ले लिए जाते एक बार बर्फ की शुरुआत हो जाए तो सेब के गार्डन की भी देखभाल बहुत ज्यादा करनी पड़ती हैं यहाँ के स्थानिक जो रहने वाले हैं उनसे जानने के लिए मिला है कि,, सेब के पेड़ों पर अगर ज्यादा बर्फ जमा हो गई तो उसे हटाना भी बहुत जरूरी हो जाता है, अगर यह बर्फ न हटाया जाए तो सेब के बाग खराब हो जाते हैं।

 

इन दिनों में सेब के बागों की भी पूरी पतझड़ हुई होती है।पूरे साल जो भी सेब हम लोगों को मार्केट में मिलते हैं वह सभी साल भर बड़े-बड़े स्टोर में रखे होते हैं।

 

तो ऐसा है श्रीनगर का मौसम और यहाँ की कुछ मात्रा में जानकारी।इस लेख के साथ जो फोटो हमने शेयर किए हैं वह यहाँ के वह पंछी है जिन्हें हम हर दिन चावल के दाने डालते रहते हैं,, उनको भी अब आदत हो गई है इसीलिए आज सुबह जब उठे तो घर के सामने पूरी बर्फ पड़ी हुई थी फिर भी यह सारे पंछी इकट्ठा होकर हमारा आने का मानो इंतजार कर रहे थे,,जब हमने इनके लिए दाने डाले तो नीचे बर्फ पड़ी हुई थी फिर भी सभी खुश होकर एक-एक दाना बड़े मजे से खा रहे थे,,इनका यह हौसला देखकर मन में एक विचार उठा कि,

 

न जाने इन छोटे-छोटे पंखों में

इतनी जान कहाँ से आ जाती है

हौसलों की ऐसी गर्मी है इनके भीतर,

जो बर्फ को भी पिघला जाती है।

 

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