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फील्ड मार्शल केएम करियप्पा के सम्मान में भारतीय सेना दिवस | ऑनलाइन बुलेटिन

©द्रौपदी साहू (शिक्षिका), कोरबा, छत्तीसगढ़

परिचय– जिला उपाध्यक्ष- अखिल भारतीय हिंदी महासभा.

 


 

नेशनल बुलेटिन | 15 जनवरी का दिन भारतवासियों के लिए बहुत ही महत्त्वपूर्ण दिन है। इस दिन हर साल भारतीय सेना दिवस के रूप में मनाया जाता है। 15 जनवरी भारत के गौरव को बढ़ाने और सीमा की सुरक्षा करने वाले जवानों के सम्मान का दिन होता है। 15 जनवरी को नई दिल्ली और सभी सेना मुख्यालयों पर सैन्य परेडों, सैन्य प्रदर्शनियों व अन्य कार्यक्रमों का आयोजन होता है। इस मौके पर देश थल सेना की वीरता, उनके शौर्य और कुर्बानियों को याद करता है। यह दिन भारतीय सेना और भारत के इतिहास के लिए बहुत खास है। भारतीय सेना दिवस फील्ड मार्शल केएम करियप्पा के सम्मान में मनाया जाता है।

 

भारतीय सेना का गठन 1776 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने कोलकाता में किया था। देश की आजादी से पहले सेना पर ब्रिटिश कमांडर का कब्जा था। साल 1947 में देश के आजाद होने के बाद भी भारतीय सेना का अध्यक्ष ब्रिटिश मूल का ही होता था। साल 1949 में आजाद भारत के आखिरी ब्रिटिश कमांडर इन चीफ जनरल फ्रांसिस बुचर थे। केएम करियप्पा भारत के पहले भारतीय सैन्य अधिकारी थे और भारत-पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध में उन्होंने ही भारतीय सेना का नेतृत्व किया था।

 

फील्ड मार्शल केएम करियप्पा आजाद भारत के पहले भारतीय सेना प्रमुख 15 जनवरी 1949 को बने थे। ये भारत के इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक है। इसलिए 15 जनवरी को हर साल भारतीय सेना दिवस के तौर पर मनाया जाता है। जब करियप्पा सेना प्रमुख बने तो उस समय भारतीय सेना में लगभग 2 लाख सैनिक थे।

 

करियप्पा ने भारत-पाकिस्तान युद्ध 1947 का नेतृत्व किया था। करियप्पा साल 1953 में रिटायर हो गए। रिटायरमेंट के बाद में उन्हें 1986 में फील्ड मार्शल का रैंक प्रदान किया गया। इसके अलावा दूसरे विश्व युद्ध में बर्मा में जापानियों को शिकस्त देने के लिए उन्हें ऑर्डर ऑफ द ब्रिटिश एंपायर का सम्मान भी मिला था। 94 साल की उम्र में साल 1993 में उनका निधन हुआ था।

 

सेना दिवस के अवसर पर पूरा देश थल सेना की वीरता, अदम्य साहस, शौर्य और उसकी कुर्बानी को याद करता है। इस दिन सेना प्रमुख द्वारा दुश्मनों को मुँहतोड़ जवाब देने वाले जवानों, शौर्य और बहादुरी का प्रदर्शन करने वाले जवानों और जंग के दौरान देश के लिए बलिदान होने वाले शहीदों की विधवाओं को सेना पदक और अन्य पुरस्कारों से सम्मानित किया जाता है और शहीदों को श्रद्धांजलि दी जाती है। देश की सीमाओं की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहूति देने वाले वीर सपूतों को श्रद्धांजलि देना ही इसका मुख्य उद्देश्य है।

 

देश के अन्य हिस्सों में इस दिन सैन्य परेड और शक्ति प्रदर्शन के अन्य कार्यक्रमों का आयोजन करके सेना दिवस मनाया जाता है।


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