इज़हार-ए-मुहब्ब्त l ऑनलाइन बुलेटिन
©नीलोफ़र फ़ारूक़ी तौसीफ़, मुंबई
मुहब्ब्त की सर-ज़मीन पे इज़हार हुआ।
नज़रें झुकाकर, दिल से दिल को प्यार हुआ।
ये बाद-ए-सबा की, प्यार सी छुअन ,
एहसास-ए-मुहब्बत से, इक़रार हुआ।
जाम लबों से, छलका फिर लबों पे,
पल में घायल दिल, बीमार हुआ।
तस्वीर मुहब्ब्त की, बसा लिया दिल में,
बड़ी मुद्दत के बाद, फिर किसी पे ऐतबार हुआ।
हज़ार वादे कर के जब जाने लगा वो,
रोक लूँ उसे, ऐसा दिल बेक़रार हुआ।
चश्म हो गयी तर, अश्कों की बूंदों से,
क़यामत का जैसे बेसब्री से इंतज़ार हुआ।
खामोशी लिए, इश्क़ की गलियों से गुज़र गए।
सब रह गए दंग, जब सर-ए-आम अख़बार हुआ।