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कल्पना चावला | ऑनलाइन बुलेटिन

पुण्यतिथि (17 मार्च 1962-01 फरवरी 2003)

©द्रौपदी साहू (शिक्षिका) 

परिचय– कोरबा, छत्तीसगढ़, जिला उपाध्यक्ष- अखिल भारतीय हिंदी महासभा.


 

भारत की महान बेटी-कल्पना चावला का जन्म 17 मार्च सन् 1962 में करनाल, हरियाणा, भारत में हुआ था। उनके पिता का नाम बनारसी लाल चावला और माता का नाम संजयोती देवी था। वह अपने परिवार के चार भाई-बहनों में सबसे छोटी थी। घर में सब उसे प्यार से मोंटू कहते थे।

 

कल्पना की प्रारंभिक पढ़ाई “टैगोर बाल निकेतन” में हुई। कल्पना जब आठवीं कक्षा में पहुचीं तो उन्होंने इंजीनियर बनने की इच्छा प्रकट की। उसकी माँ ने अपनी बेटी की भावनाओं को समझा और आगे बढ़ने में मदद की। पिता उसे चिकित्सक या शिक्षिका बनाना चाहते थे। किंतु कल्पना बचपन से ही अंतरिक्ष में घूमने की कल्पना करती थी। उनकी उड़ान में दिलचस्पी J R D Tata ‘जहाँगीर रतनजी दादाभाई टाटा से प्रेरित थी, जो एक अग्रणी भारतीय विमान चालक और उद्योगपति थे।

 

कल्पना चावला ने प्रारंभिक शिक्षा टैगोर पब्लिक स्कूल करनाल से प्राप्त करने के बाद आगे की शिक्षा वैमानिक अभियान्त्रिकी में पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज, चंडीगढ़, भारत से करते हुए 1982 में अभियांत्रिकी स्नातक की उपाधि प्राप्त की। वे संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए 1982 में चली गईं और 1984 वैमानिक अभियान्त्रिकी में विज्ञान निष्णात की उपाधि टेक्सास विश्वविद्यालय आर्लिंगटन से प्राप्त की।

 

कल्पना ने 1986 में दूसरी विज्ञान निष्णात की उपाधि पाई और 1988 में कोलोराडो विश्वविद्यालय बोल्डर से वैमानिक अभियांत्रिकी में विद्या वाचस्पति की उपाधि पाई। कल्पना को हवाईजहाज़ों, ग्लाइडरों व व्यावसायिक विमानचालन के लाइसेंसों के लिए प्रमाणित उड़ान प्रशिक्षक का दर्ज़ा हासिल था। उन्हें एकल व बहु इंजन वायुयानों के लिए व्यावसायिक विमानचालक के लाइसेंस भी प्राप्त थे। अन्तरिक्ष यात्री बनने से पहले वो एक सुप्रसिद्ध नासा की वैज्ञानिक थी।

 

1988 के अंत में उन्होंने नासा के एम्स अनुसंधान केंद्र के लिए ओवेर्सेट मेथड्स इंक के उपाध्यक्ष के रूप में काम करना शुरू किया, उन्होंने वहाँ वी/एसटीओएल में सीएफ़डीपर अनुसंधान किया।

 

कल्पना मार्च 1995 में नासा के अंतरिक्ष यात्री कोर में शामिल हुईं और वे 1998 में अपनी पहली उड़ान के लिए चुनी गयीं थी। उनका पहला अंतरिक्ष मिशन 19 नवम्बर 1997 को छह अंतरिक्ष यात्री दल के हिस्से के रूप में अंतरिक्ष शटल कोलंबिया की उड़ान एसटीएस-87 से शुरू हुआ। कल्पना अंतरिक्ष में उड़ने वाली प्रथम भारतीय महिला थीं और अंतरिक्ष में उड़ने वाली भारतीय मूल की दूसरी व्यक्ति थीं।

 

कल्पना अपने पहले मिशन में 1.04 करोड़ किलोमीटर या 65 लाख मील का सफ़र तय कर के 365 घंटों में पृथ्वी की 242 परिक्रमाएँ कीं ।

 

सन् 2000 में उन्हें एसटीएस-107 में अपनी दूसरी उड़ान के कर्मचारी के तौर पर चुना गया। यह अभियान लगातार पीछे सरकता रहा, क्योंकि विभिन्न कार्यों के नियोजित समय में टकराव होता रहा और कुछ तकनीकी समस्याएँ भी आईं, जैसे कि शटल इंजन बहाव अस्तरों में दरारें आदि। 16 जनवरी 2003 को कल्पना ने अंततः कोलंबिया पर चढ़ के विनाशरत् एसटीएस-107 मिशन का आरंभ किया। उनकी ज़िम्मेदारियों में शामिल थे स्पेसहैब/बल्ले-बल्ले/फ़्रीस्टार लघुगुरुत्व प्रयोग जिसके लिए कर्मचारी दल ने 80 प्रयोग किए, जिनके जरिए पृथ्वी व अंतरिक्ष विज्ञान, उन्नत तकनीक विकास व अंतरिक्ष यात्री स्वास्थ्य व सुरक्षा का अध्ययन हुआ ।कोलंबिया अंतरिक्ष यान में उनके साथ अन्य यात्री भी थे- कमांडर रिक डी . हुसबंद, पायलट विलियम स. मैकूल, कमांडर माइकल प . एंडरसन, इलान रामो, डेविड म . ब्राउन, लौरेल बी. क्लार्क।

 

अंतरिक्ष पर पहुँचने वाली पहली भारतीय महिला कल्पना चावला की दूसरी अंतरिक्ष यात्रा ही उनकी अंतिम यात्रा साबित हुई। सभी तरह के अनुसंधान तथा विचार – विमर्श के उपरांत वापसी के समय पृथ्वी के वायुमंडल में अंतरिक्ष यान के प्रवेश के समय जिस तरह की भयंकर घटना घटी वह अब इतिहास की बात हो गई। नासा तथा विश्व के लिये यह एक दर्दनाक घटना थी।

 

अंतरिक्ष यान कोलंबिया शटल STS-107 धरती से करीब दो लाख फीट की ऊँचाई पर थी और यान की रफ्तार करीब 20 हजार किलोमीटर प्रति घंटा था। यान धरती से इतना करीब था कि अगले 16 मिनट में यान अमेरिका के टैक्सास में उतरने वाला था और सभी इसके लिए तैयार थे। पूरी दुनिया की नजरें इस यान पर थीं। तभी एक बुरी खबर आयी कि नासा का इस यान से संपर्क टूट चुका है। इससे पहले कि लोगों की समझ में कुछ आता इस अंतरिक्ष यान का मलबा टैक्सास के डैलस इलाके में लगभग 160 किलोमीटर क्षेत्रफल में फैल गया। हादसे में कल्पना चावला सहित सातों अंतरिक्ष यात्रियों की मौत हो गयी। सातों अंतरिक्ष यात्री सितारों की दुनिया में विलीन हो गए ।

 

कल्पना चावला को मरणोपरांत-काँग्रेशनल अंतरिक्ष पदक , नासा अंतरिक्ष उड़ान पदक, नासा विशिष्ट सेवा पदक सम्मान से सम्मानित किया गया।

 

©द्रौपदी साहू (शिक्षिका)                

परिचय– कोरबा, छत्तीसगढ़, जिला उपाध्यक्ष- अखिल भारतीय हिंदी महासभा.


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