नेताओं से भरोसा उठ गया है | Onlinebulletin.in
©हरीश पांडल, विचार क्रांति, बिलासपुर, छत्तीसगढ़
विश्वास का तिलिस्म
टूट गया है
समाज के नेताओं से
भरोसा उठ गया है
गुरु घासीदास जी की जयंती पर
मानव- मानव एक समान
सभी नेता मंच पर
कहते हैं
क्या गुरु घासीदास जी के
उपदेशों का पालन
करते हैं ?
बलौदा बाजार जिले को
गुरु घासीदास जी के
नाम पर क्यों नहीं करते?
“धरमपुरा” में
सतनाम गुरुद्वारा को
ढहाया गया है
सतनामियों को खून
के आंसु रुलाया
गया है।
एक को मां
एक को मौसी
का रिश्ता निभाया
गया है ।
क्या अब किसी मंच पर
मानव- मानव एक समान
का उद्बोधन
नहीं किया जायेगा ?
क्या गुरु घासीदास जी के
उपदेशों को
भुलाया जायेगा
क्या मनुस्मृति फैलाया जायेगा
उनकी दोमुंही
नीति से,
समाज का
दामन छूट गया है।
विश्वास का तिलिस्म
टूट गया है।
महिलाओं- पुरुषों को मारा
और घसीटा गया
मार खाने वालों को ही
दोषी बनाया गया
उनपर ही दोष थोपा गया
नेता, मुखिया, गुरु आदि
गांधी के तीन बंदरों की
तरह मौन हैं
विश्वास का तिलिस्म
टूट गया है
समाज के नेताओं से
भरोसा उठ गया है ….