फल की आशाएं छोड़कर | ऑनलाइन बुलेटिन
©गायकवाड विलास
परिचय- लातूर, महाराष्ट्र
दीपक सा जलता गुरु,
सारे जहां में रोशनी फैलाएं।
सही राहें दिखाकर दुनिया को,
फ़र्ज़ अपना वो आख़री सांसों तक निभाएं।
दीपक सा जलता गुरु,
मन मन में फैला अंधेरा जलाएं।
ज्ञान बांटकर सारे जहां में,
मानवता धर्म सभी के दिलों में जगाएं।
दीपक सा जलता गुरु ,
अच्छी नीतियां और संस्कार का पाठ पढ़ाए।
प्रेम-भाव की ज्योति मन में जलाकर,
इन्सानियत ही सबसे श्रेष्ठ यही सिखाएं।
दीपक सा जलता गुरु,
कभी किसी से भेदभाव ना कराएं।
जैसे बहता है नदियों का निर्मल जल,
ऐसे ही अच्छे कर्मों का फल वो सभी दिखाएं।
दीपक सा जलता गुरु,
हर वक्त औरों की भलाई सोचता जाएं।
फल की आशाएं छोड़कर अपने जीवन में,
सारे संसार में ज्ञान की रोशनी फैलाएं।
दिया ख़ुद जलकर छोड़ जाता है रोशनी,
सच्चे गुरुओं की भी यही है कहानी।
दीपक सा जलता है गुरु सारे जहां के लिए,
गुरु के ज्ञान से ही जगमगा उठती है सारी दिशाएं।