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मुश्किलों से गुजर रही है जिंदगी | Newsforum

©अविनाश लालपुरीहा, मुंगेली, छत्तीसगढ़


 

 

मुश्किलों से गुजर रही है जिंदगी

हर कदम पर मौत के जाल है,

ये कैसा हालात है,

जो आया कोरोना काल है।

एक पग भी चलना मुश्किल,

अपनों के साथ में रहना मुश्किल,

और मुश्किल है बात करना।

टूट रहे है अपनों के धागे,

कोई नई एक दूसरे के आगे,

हर कदम पर मौत के जाल है

ये कैसा हालात है,

जो आया कोरोना काल है।

खाना भी पड़ गये मुश्किल,

कमाना भी पड़ गये मुश्किल,

और मुश्किल है साथ चलना,

अपनो के साथ मुश्किल घड़ी,

खुद के शरीर छूने को डरी,

हर कदम पर मौत के जाल है

ये कैसा हालात है ,

जो आया कोरोना काल है।

घर से बाहर निकलना मुश्किल,

निकले भी तो खुद के

घर आना मुश्किल,

और मुश्किल है अपनों के साथ निभाना,

कैद हो गए हैं मुश्किलों के चलते,

नहीं बन रहा है हमें घर से निकलते,

हर कदम पर मौत के जाल है,

ये कैसा हालात है ,

जो आया कोरोना काल है।

हंसना भी पड़ गये मुश्किल,

रोना भी पड़ गये मुश्किल,

और मुश्किल है अपनों को खोना,

बिखर रहे है सपनों की लड़ी,

क्या करे अब आया है ऐसा घड़ी,

मुश्किलों से गुजर रही है जिंदगी,

हर कदम पर मौत के जाल है,

ये कैसा हालात है,

जो आया कोरोना काल है।


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