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मानवता के प्राण पुरुष डॉ. बी. आर. अंबेडकर | ऑनलाइन बुलेटिन

©डॉ. कान्ति लाल यादव

परिचय– सहायक आचार्य, उदयपुर, राजस्थान


 

 

 

विश्व के महान शिक्षाविद। मानवता के प्रहरी। डॉक्टर बी आर अंबेडकर को अमेरिका के कोलंबिया विश्वविद्यालय के बाहर लगी प्रतिमा पर लिखा है “ज्ञान के  प्रतीक”।एक सर्वे में कोलंबिया विश्वविद्यालय में डॉक्टर अंबेडकर को विश्व का प्रथम स्कॉलर घोषित किया था ‌दुनिया के छः महान विद्वानों में उनका नाम है। 11 भाषाओं के ज्ञाता थे मराठी अंग्रेजी हिंदी पाली संस्कृत गुजराती जर्मन फ्रेंच पारसी बंगाली और कन्नड़। उनके पास 32 डिग्रियां थी वे 64 विषयों के ज्ञाता थे। उन्होंने डी.एस.सी. जैसी विश्व विख्यात डिग्री अर्जित की थी। डी.एस.सी. की डिग्री भारत में केवल 2 व्यक्तियों ने अर्जित की है। प्रथम डॉ. बी. आर. अंबेडकर ने और दूसरी भारत के पूर्व राष्ट्रपति के. आर. नारायण ने।

 

बाबा साहब ने डी. एस.सी. की डिग्री को 8 वर्ष के कोर्स को 2 वर्ष 3 माह में अर्जित की थी। यह उनकी प्रतिभा का प्रतीक है। अपने माता पिता की चौदहवीं संतान थे। मैं अपने को चौदहवां रत्न कहते थे।  उन्होंने दुनिया के सभी धर्मों का 25 वर्षों तक गहनता से तुलनात्मक अध्ययन किया था। बाबा साहब ने अपने जीवन में चार महत्वपूर्ण कार्य किए थे। पहला दलित उद्धार। दूसरा नारी उद्धार। तीसरा भारतीय संविधान लिखकर और चौथा बौद्ध धर्म अपनाकर। उन्होंने अपने जीवन में तीन गुरु माने थे। आध्यात्मिक गुरु कबीर जिनके तर्क वाद से प्रभावित थे। पहले धार्मिक गुरु सिद्धार्थ गौतम बुद्ध और दुसरे आध्यात्मिक गुरु संत कबीर और तीसरे सामाजिक गुरु ज्योतिबा फुले थे।

 

बाबा साहब का जन्म हुआ था तब भारत देश में जातिवाद का जहर इस तरह समाज में घुला हुआ था कि इंसान को इंसान मानने तक को मानने के लिए स्वर्ण तैयार नहीं था। इंसान की छाया से घबराता था।पशुओं की पूजा एवं पशुओं की मल- मूत्र की पूजा होती थी।तालाबों एवं की बावड़ियों में पशु-पक्षी, जानवर पानी पी सकता था किंतु इंसान-इंसान में था ऐसे दूषित वातावरण में डॉ. बाबा साहब ने बहुत संघर्ष कर शिक्षा की ज्योति से सामाजिक क्रांति की मशाल जलाई।उनका कहना था धर्म मनुष्य के लिए है ना कि मनुष्य धर्म के लिए। वे कहते थे छुआछूत गुलामी से बदतर है। हिंदू धर्म से बहुत आहत हुए और उन्होंने  नासिक के पास येवला में एक सम्मेलन में धर्म परिवर्तन की घोषणा की- “हिंदू धर्म में पैदा होना मेरे वश में नहीं था मगर मैं इस धर्म में मरूंगा नहीं यह मेरे वश में है।

 

बाबा साहब ने अपने जीवन में अनेक आंदोलन किए और उसमें वे सफल हुए।मनुस्मृति दहन 1927, महाड सत्याग्रह 1928, नासिक सत्याग्रह 1930, कलाराम मंदिर आंदोलन 1930 में लगभग 1500 स्वयंसेवकों के साथ आंदोलन किया,येवला की गर्जना 1935।

 

डॉक्टर बाबा साहब अंबेडकर एक सफल संपादक एवं पत्रकार थे। उन्होंने अपने जीवन में पांच अखबारों का संपादन किया था-मूकनायक 1920, बहिष्कृत भारत 1927, समता 1928, जनता 1930 और प्रबुद्ध भारत 1956। वे एक महान् शिक्षाविद्, धर्म शास्त्री, राजनीतिज्ञ विधिवेत्ता एवं महान् अर्थशास्त्री थे। अर्थशास्त्री और अर्थशास्त्र में नोबेल पुरस्कार प्राप्त कर्ता डॉ.अमर्त्य सेन ने डॉक्टर बी. आर. अंबेडकर के बारे में कहा की-“अंबेडकर अर्थशास्त्र विषय में मेरे पिता है।”

 

अर्थशास्त्र विषय में विदेश से पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त करने वाले प्रथम भारतीय थे। इन्होंने लंदन में हुए तीनों गोलमेज सम्मेलन में भाग लिया था।कम्युनल अवार्ड की घोषणा गोल में सम्मेलन का परिणाम था। जिसमें अंबेडकर साहब की मांग थी अछुतों को 2 वोटों का अधिकार दिया जाए जिसमें 1 वोट से अछूत अपना प्रतिनिधि चुन सके दूसरे वोट से सामान्य वर्ग का प्रतिनिधि चुनने की आजादी हो। अछूत अपने प्रतिनिधि को चुनेगा तो वह उस वर्ग की समस्या को समझ सकेगा और समाधान कर सकेगा।

 

कम्युनल अवार्ड की घोषणा होते ही गांधी ने ब्रिटिश प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर कम्युनल अवार्ड की घोषणा को बदलना चाहा किंतु उनकी बात पर अमल नहीं हुआ तो उन्होंने आमरण अनशन शुरू किया तब गांधी जी पुणे की यरवदा जेल में थे।अंबेडकर साहब ने कहा कि गांधी देश की स्वतंत्रता के लिए व्रत रखते तो अच्छा होता लेकिन उन्होंने अछूतों के विरोध में यह व्रत रखा है जो बेहद अफसोस जनक है। जबकि भारतीय ईसाईयों, मुसलमानों और सीखों को मिले अलग अधिकारों को लेकर उन्हें कोई आपत्ति नहीं है।”

 

किंतु बाबासाहेब ने गांधी की जिद को देखते हुए उनको प्राणों की रक्षा हेतु पूना पैक्ट के नाम से हुए समझौता पर हस्ताक्षर किए (24 सितंबर 1932 में) बाबा साहब पुस्तक प्रेमी थे।उनके निजी पुस्तकालय राजगृह में 50000 से भी ज्यादा किताबें थी। वे कहते थे -“जिस दिन मेरे भारत के युवाओं कतारें मंदिर-मस्जिद की बजाए पुस्तकालय में लगने लग जाएगी उस दिन भारत सर्वशक्तिमान बन जाएगा।”

 

वे एक दूर दृष्टा थे। उन्होंने जो भी भविष्यवाणी की वह सत्य निकली। उन्होंने आजाद भारत में देश का संविधान लिख कर के महान कार्य किया।

 

भारत के लोकतंत्र के बारे में कहते थे कि अब तुम्हें राजा बनने के लिए रानी की पेट की जरूरत नहीं है। तुम स्वयं अपने मत के अधिकार से राजा बन सकते हो। किंतु आज दलित वर्ग अपने वोटों को बेचकर बिकने लगा है। उन्होंने अपने समुदाय हेतु -“शिक्षित बनो, संगठित रहो और संघर्ष करो” का नारा दिया था। वह उनके कहे अनुसार मंत्र को ही पूरा बदल दिया है। उन्होंने दुनिया का सबसे बेहतर और सर्वश्रेष्ठ संविधान लिखा। जो आज भी एक अरब 40 करोड़ जनता को बांधे हुए।

 

संविधान सभा के सदस्य टीटी कृष्णमाचारी ने कहा था कि-” पूरा संविधान बाबा साहब ने ही निर्मित किया है।एक ने सदन में इस्तीफा दे दिया था और उसे बदल दिया गया था ।एक की मृत्यु हो गई थी और उसकी जगह कोई नहीं लिया गया था। एक अमेरिका में और उसका स्थान नहीं भरा गया और एक अन्य व्यक्ति राज्यों के मामलों में व्यस्त था।( रियासत कार्यों में) दो जने दिल्ली से बहुत दूर थे और अस्वस्थ थे। इस प्रकार संविधान का मसौदा तैयार करने का सारा भार डॉक्टर अंबेडकर पर पड़ा।मैं ऐसा मानता हूं यह निसंदेह सराहनीय है।”

 

संविधान के बारे में बाबा साहब ने कहा था -“संविधान कितना भी अच्छा हो किंतु उसे मानने वाले लोग अच्छे नहीं हो तो संविधान गलत साबित होगा यदि संविधान गलत हो किंतु उसे मानने वाले सही हो तो संविधान सही साबित होगा।”

 

वे दो बार राज्यसभा के सदस्य बने थे। वर्ष 1951 में महिला सशक्तिकरण हेतु उन्होंने मजबूत कदम उठाते हुए ” हिंदू कोड बिल” को संसद में पास करने हेतु बहुत ही प्रयास  किए थे। यह विधेयक से रूप से लागू ना होने पर असंतुष्ट होकर अपने कानून मंत्री के पद से इस्तीफा तक दे दिया था। महिलाओं के अधिकारों हेतु लड़ने वाले महान योद्धाओं को आज महिलाएं ही भूल गई है। दु:ख की बात यह है कि महिला दिवस पर भी आज भारतीय महिलाएं उन्हें यादतक नहीं करती हैं।

 

उन्होंने जल नीति तथा वितरण हेतु बहुउद्देशीय आर्थिक नीतियां बनाई जो बेजोड़ थी जिसके परिणाम से हीराकुंड बांध दामोदर घाटी बांध परियोजना सोन नदी घाटी परियोजना का निर्माण हुआ।निर्वाचन आयोग,वित्त आयोग, योजना आयोग जैसी अनेक नीतियां बनाने वाले महान पुरुष की नीतियों पर देश की जनता व शासन आज भी सही रूप से नहीं चल पा रहे।

 

श्रम मंत्री के नाते मजदूरों के 12 घंटे के श्रम को घटाकर 8 घंटे कार्य समय और भी करना महिलाओं को प्रसूति अवकाश प्रदान करना, समान कार्य समान वेतन, कर्मचारी राज्य बीमा आदि अनेक सुविधाएं प्रदान करवाई थी। राष्ट्रीय झंडे तिरंगे पर अशोक चक्र को जगह दिलाना उन्हीं की बदौलत संभव हुआ था।भारतीय रिजर्व बैंक आरबीआई की स्थापना डॉक्टर अंबेडकर साहब की देन है। 14अक्टूबर 1956को 5 लाख समर्थकों के साथ धर्म परिवर्तन किया और बौद्ध धर्म स्वीकार किया।

 

दुनिया के पहले व्यक्ति थे जो इतने अनुयायियों के साथ धर्म परिवर्तन करने वाले। वे कितने राष्ट्रवादी थे इस बात से पता चलता है कि उन्होंने भारत से निकले हुआ धर्म को ही अपनाया। वे धारा 370 के खिलाफ थे। उन्होंने रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया की स्थापना की थी। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा किए गए “द मार्क्स ऑफ द यूनिवर्स’ नाम के सर्वेक्षण के आधार पर पूर्व के 10000 वर्षों के शीर्ष स्थान में मानवतावादी महामानवों की सूची में अंबेडकर का चौथा स्थान है।

 

डॉ.बाबासाहेब आंबेडकर के महान कार्यों भुलाया नहीं जा सकता है। उनके सिद्धांतों पर चलने की आज भी जरूरत है। उनके द्वारा निर्मित संविधान की पालना आज भी सही रूप से नहीं हो पा रही है। आज संविधान खतरे में है। संविधान को रक्षा की जरूरत है। बाबा साहब की पद चिह्नों पर चलने की जरूरत है।

 

बाबा साहब को समझने की जरूरत है। आज अंबेडकर वादियों को बाबा साहब को पढ़ने की जरूरत है। उनके द्वारा बताए गए मार्ग पर चलने से ही देश के लोकतंत्र को मजबूती और मानवता को संबल मिलेगा। बाबा साहब एक महान युग दृष्टा थे। वे हर समय में प्रासंगिक और नई पीढ़ियों के लिए आवश्यक है मानवतावादी थे।


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