इंसान बन जीना | ऑनलाइन बुलेटिन
©सरस्वती राजेश साहू
परिचय- , बिलासपुर, छत्तीसगढ़
जो दिल में है वही जुबाँ पे आना चाहिए।
आडम्बरों का लेप नहीं लगाना चाहिए ।
जन्म है इंसान का सब इंसान बन जीना,
इंसानियत को कर्म में नित लाना चाहिए।
चल नवरसों के भाव से रस प्रेम का पी ले,
करूणा, दया, वात्सल्य भी समाना चाहिए।
पा गया सहारा तो एक हाथ ही बढ़ादे,
गिरते हुए मनुज को सहज उठाना चाहिए ।
माँगते हैं प्रेम से तो करें दया का दान,
साहस हृदय में शौर्य भी दिखलाना चाहिए।
सब जन, जीव हैं जगत के न भेद हो कोई,
धर्म से सतत् कर्तव्य को निभाना चाहिए।
कीट वो मस्तिष्क का भारी रोग है अनंत,
सदा दुर्भावना, दुर्भेद्य हटाना चाहिए।
कुटिलता से मानव कभी होते नहीं महान,
निश्छल हृदय स्नेह का दिव्य खजाना चाहिए।