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प्रेम एक झरोखा | ऑनलाइन बुलेटिन

©मोहनलाल सोनल ‘मनहंस’

परिचय– पाली, राजस्थान


 

मेरा प्रेम एक झरोखा |

सबसे अलग अनोखा ||

 

मेरा प्रेम हर सुहानी भोर |

मेरा प्रेम हर बगिया का मोर ||

मेरा प्रेम चिड़ियों की चहक |

बाग के हर गुलाब की महक ||

 

मेरा प्रेम तरूणी की अंगडाई |

गगन छूते पहाड तो ऩदिया छनछनाई ||

मेरा प्रेम हर निगाह जो शरमाई |

घर आंगन में बजे जो शहनाई ||

 

मेरा प्रेम एक….     अनोखा ||

 

मेरा प्रेम बाल खिलखिलाहट |

हर विरहणी की आहट ||

नयनो के झलकते अश्रु

प्रियतम विरह की घबराहट ||

 

मेरा प्रेम खेल में खिलौना |

घीरत बनाने दही में बिलौना ||

मेरा प्रेम सयाना और सलोना

प्रेमी जोडो के रोमांच का हर कोना ||

 

मेरा प्रेम एक…. अनोखा ||

 

मेरा प्रेम समन्दर का नीर |

मीठी मीठी बादामी खीर ||

मेरा प्रेम द्रोपदी का चीर |

हर वो भूख जो कर दे अधीर ||

 

मेरा प्रेम जीने की आस |

अलख सुमिरन में हर श्वांस ||

मेरा प्रेम साधारण भी और खास |

हर प्रार्थना  हर अरदास ||

 

मेरा प्रेम एक….. अनोखा ||

 

मेरा प्रेम हैं मीठी यादे |

न कोई वचन मिलन के वादे ||

मेरा प्रेम जकडन नही, बंधन नहीं

नहीं हैं टूटते धागे ||

 

मेरे प्रेम का न कोई मोल |

न अंदाज, न कर सकते तोल ||

मेरा प्रेम हैं कुछ मधुर बोल |

मेंरा प्रेम हैं वाणी अनमोल ||

 

मेरा प्रेम एक…….. अनोखा |

 

मेरा प्रेम अलख के रोम रोम पर चुंबन |

उस अविनाशी अलग का रूदन ||

मेरा प्रेम झूलते झूला, न बाहों का बंधन |

मेरा प्रेम तो भाव भरे शब्दो से वंदन ||

 

करते करते प्रेम हो गये एकाकार |

बादल रूप बदल मेह साकार ||

‘मनहंस’ मौन न रहे अब मन का मोर |

साहूकार कहो या कहो कुछ और ||

 

मेरा प्रेम एक झरोखा |

सबसे अलग अनोखा ||

 


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