पियार नई हे | newsforum
©महेतरू मधुकर (शिक्षक), पचेपेड़ी, बिलासपुर, छत्तीसगढ़
जिनगी म संग जेखर ककरो पियार नई हे।
वो मइनखे के ए दुनिया म तो बहार नई हे।।
दुनिया ल देखाय बर कतको भले हाँस ले।
पर हिरदय के भीतरी म तो उजियार नई हे।।
घमण्ड ह आदमी ल सबले दूर कर देथे।
दिल के दुनिया म दऊलत के आधार नई हे।।
पाना हे अगर पियार त पियार करना परही।
बिन मया के तो संगी खुस ए संसार नई हे।।
मरे के बाद ओला कोनो सुरता नई करय।
जेखर बानी ह गुरतुर, नेक बेवहार नई हे।।
पर निंदा, निज बड़ाई ले बचना चाही जी।
बड़ बोलवा के कोनो जघा सतकार नई हे।।
बस तन के सुग्घर होय ले भला का होथे जी।
मन जीते बर तो अच्छा भाव बिचार नई हे।।