प्रकृति से प्रेम करो | Newsforum
©असकरन दास जोगी “अतनू”, बिलासपुर, छत्तीसगढ़
उन नये पत्तों का
हृदय से स्वागत है
जो इस बार
पतझड़ के बाद
निकल आयेंगे…
वे सबसे ज्यादा
प्यारे और मासूम होंगे
बिल्कुल
हमारे अजन्मे
बच्चों की तरह…
आज प्रकृति
कितनी ज़हरीली
लग रही है
वे जब निकल आयेंगे
तो देख लेना
नई श्वास घोलेंगे
हमारे आशियाने के
आस-पास
सुनो !
प्रकृति से प्रेम करो…
वे पत्ते
जो पुराने हैं
और पीले पड़ गये हैं
उन्हें झड़ने से पहले न तोड़ें
उन्हें हमारी
देखभाल और प्रेम की आवश्यकता है
बिल्कुल हमारे बुज़ुर्गों की तरह…
उन तमाम पेड़ पत्तों
और प्राणियों से प्रेम करो
जिन्हें प्रकृति ने सृजन किया है
अन्यथा असंतुलन फैलने पर
जब प्रकृति संतुलन स्थापित करेगी
तब सबसे ज्यादा भरपाई
मनुष्यों को ही करना होगा
क्योंकि प्रकृति से खिलवाड़
हमने ही तो किया है न….