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प्यार का गीत | ऑनलाइन बुलेटिन

©कुमार अविनाश केसर

परिचय– मुजफ्फरपुर, बिहार


 

 

 

प्यार से हमको तुम यूं पुकारा करो,

आंख में डाल आंखें दुलारा करो।

कि रहे दूरियां न तेरे दिल से अब,

ख्याल हर एक पल तुम हमारा करो।

 

मेरे हृदय में सागर तेरे प्यार का,

रूप मेरे लिए ही संवारा करो।

ये आंखों के पलकों की हंसीनियाँ,

बस हमारे लिए ही तैराया करो।

 

 

ये सांसों की नरमी, घटा जुल्फ की,

लाली, होठों के रस की, मुस्कान की,

बस, वफा का मिला देना रंग थोड़ा – सा

तो कहानी बनेगी ये हमजान की।

 

नजदीक आकर न जाना कभी,

मन की तह में उतर, मन से जाना नहीं,

आंसूओं की न बरसात,दिल में कसक,

गुनगुनाती ही रहना, बेगाना नहीं।

आंख मुझसे न तुम यूं चुराया करो।

पास आकर यू मुझको बुलाया करो।

ये होठों पे ,होठों की रंगीनियाँ,

बस मेरे लिए ही फैलाया करो।

 

 

प्यार से हमको तुम यूं पुकारा करो……

आंख में डाल आँखें दुलारा करो……..

 


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