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अहिंसा के पुजारी महावीर स्वामी | ऑनलाइन बुलेटिन

©नीलोफ़र फ़ारूक़ी तौसीफ़ 

परिचय– मुंबई, आईटी सॉफ्टवेयर इंजीनियर.


 

क्षमा-दया-त्याग-त्याग जिसने दिया हम सब को उपहार।
अहिंसा के पुजारी, महावीर जी के उच्च विचार।
जियो और जीने दो, महामंत्र का किया उपयोग,
मानवता का द्वीप प्रज्ज्वल कर प्रभु का लगाया भोग।

प्रकृति से करो प्रेम, कभी न करो तुम अपमान।
जीव-जंतु, कन्द-मूल सबमें है जान एक समान।
लोभ, क्रोध, ईर्ष्या का, है मानव तुम करना त्याग,
उच्च शिखर पर पहुंचाएगा तुझे एक सत्य का मार्ग।

महावीर जी के शुभ वचन का तुम पालन करना,
मीठी वाणी से ह्रदय में रख, सबके दुख हरना।
रख सबसे मैत्री भाव, करते रहना तुम भलाई,
महावीर जी के उच्च विचार ने जीने की राह दिखाई।

जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थकर, नाम राजकुमार वर्द्धमान,
पिता सिद्धार्थ, माता त्रिशला , क्षत्रीय परिवार जन्मस्थान।
संसार से विरक्त, राज वैभव कर के दुनिया से त्याग,
सन्यास धारण कर,किया पूरे जग का कल्याण।

बारह वर्षों तक कठिन परिश्रम कर, प्राप्त किया ज्ञान,
अहिंसा परमोधर्म अपनाकर, बने महावीर महान,
बहत्तर वर्षों में हुई, महावीर जी को मोक्ष की प्राप्ति,
पावापुरी कहलाया इनका पुण्य एवं पूजनीय स्थान।


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