नीर क्षीर कर ग्रहें सार को, शुचि हिंदी का गुणगान करें | Newsforum
©सरस्वती राजेश साहू, बिलासपुर, छत्तीसगढ़
जय भारत, भारती गान का,
नित हिन्दुस्तानी मान करें।
नीर क्षीर कर ग्रहें सार को,
शुचि हिंदी का गुणगान करें।
हिंद देश की हिंदी भाषा,
सदा सुगम और सीधी बोल ।
नहीं झुका सकता है कोई,
हिंद भाषा अपनी अनमोल ।।
अंतर्मन में भाव उठे जब,
शुभ कर्मों पर अभिमान भरे ।
नीर क्षीर कर ग्रहें सार को,
शुचि हिंदी का गुणगान करें…।।
देवशब्द, सांस्कृति धरा पर,
उद्गम भारत की वाणी है ।
फैल रही है चार दिशाएँ,
हिंदी की विनय कहानी है ।।
गौर करो गौरव की गाथा,
हिंदी भारत की शान धरे ।
नीर क्षीर कर ग्रहें सार को,
शुचि हिंदी का गुणगान करें…।।
भरी सभ्यता भीतर जिसने,
आदर्श रूप को बोया है ।
निज अंतस में धर्म जात को,
प्रणय बंधन में पिरोया है ।।
भारत की वाणी शोभा का,
मिलकर मानस रसपान करें
नीर क्षीर कर ग्रहे सार को,
शुचि हिंदी का गुणगान करें…।।
जय भारत, भारती गान का,
नित हिन्दुस्तानी मान करें।
नीर क्षीर कर ग्रहें सार को,
शुचि हिंदी का गुणगान करें।।