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धरा को फिर हरा कर दें | Newsforum

©राहुल सरोज, जौनपुर, उत्तर प्रदेश


 

एक हो विश्वास का, एक अभिनव आश का,

एक पौधा नाम का हो, एक हो सम्मान का,

एक नए युग का नया संकल्प अटल कर लें,

आओ मिलकर इस धरा को फिर हरा कर दें।

 

फिर चलो ले आए बागों का सुनहरा कल,

फिरसे अब लद जाएं पेड़ों पर वो मीठे फल,

फिर चलो लौटाएं कुदरत के वो खोए पल,

पक्षियों की किलकारियों से ये जहां भर दें,

आओ मिलकर इस धरा को फिर हरा कर दें।

 

एक पौधा प्रेम का चलो अब लगा दें हम,

देख जिसको बस हो खुशी, भूलें सारे गम,

गांव के गलियों की, खेत के खलियानों की,

खो चुकी जो रौनकें बागों की, बागानों की,

साथ मिलकर हम सभी वो रौनकें भर दें,

आओ मिलकर इस धरा को फिर हरा कर दें।

 

“हर एक शुभ अवसर पर एक पौधा जरूर लगाएं

ये आपके किसी भी प्रकार के इन्वेस्टमेंट से दोगुना रिटर्न देगा।”


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