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झूठों का बाजार | Newsforum

©सीमा वर्मा, (सरू दर्शिनी), बिलासपुर, छत्तीसगढ़


 

सच्ची बात सुनना यहां पर, है पसंद किसे,

यहां हर तरफ फैला झूठों का बाजार हैं।

 

मेहनत करना यहां पर, है पसंद किसे,

यहां तो, मुफ़्त की रोटी तोड़ने हजार हैं।

 

तुम्हारे हक की बात करनी, है पसंद किसे,

यहां तुम्हारा हक़ छीनने लोग बैठे बेकरार हैं।

 

तुम आगे बढ़ो, यह बात है पसंद किसे,

यहां पर गड्ढा खोदने को, लोग तैयार हैं।

 

तुम ऊंचे सपने देखो, यह बात है पसंद किसे,

यहां तुम्हारे पंख कुतरने को, लोग हजार हैं।

 

लड़ो हक़ की लड़ाई, यह बात है पसंद किसे,

यहां लोग तुम्हारी आवाज़ दबाने को, तैयार हैं,

 

सच्ची बात सुनना यहां पर, है पसंद किसे,

यहां हर तरफ फैला झूठों का बाजार हैं।

 

 


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