माता रमाबाई आंबेडकर | ऑनलाइन बुलेटिन
7 फरवरी जन्म दिवस पर विशेष
©ममता आंबेडकर
परिचय– गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश
अपने खुशहाल जीवन के लिए रमाबाई ने भी तो देखे थे ख्वाबना जाने कितने लेकिन
माता रमाबाई के दिल में दलितों की पीड़ा के जाग उठे थे दर्द ना जाने कितने।
33 करोड़ देवता भी नहीं मिटा पाए भूख पेट की
दलितों की मुट्ठी में भी नहीं होते थे खाने को दाने इतने
प्यास लगने पर तालाब से भी प्यास नहीं बुझने देते थे
मनुवादी लोग न जाने सियाने थे कितने
हम तो एक ठोकर सहन नहीं कर पाते हैं लेकिन माता
रमाबाई ने दलितों के लिए दर्द सहे थे न जाने कितने
चार चार बच्चों की कुर्बानी की कीमत माता रमाबाई ने चुकाई थी
न जाने क्यों मजलूमों को अपने आंचल में में समाई थी
बाबासाहेब को भी एक पल दुख में नहीं देख पाई थी
बैरिस्टर की पत्नी होकर भी कंडे बेच कर घर को चलाईं थी
माता रमाबाई अपने त्याग से बाबासाहेब को बिद्घान बनाई थी
बाबासाहेब डॉ भीम राव आंबेडकर जी ने भी
माता रमाबाई के संघर्ष से दलितों के जीवन में शिक्षा की ज्योति जलाई थी
माता रमाबाई के त्याग और बलिदान से बाबासाहेब महान और
विद्वान बने और बाबासाहेब की बिद्धवांता से हम लोग इंसान बने
7 फरवरी 1898 को जन्मी माता रमाबाई जी के जन्मदिन की
हार्दिक बधाई एवं मंगल कामनाएं आप सभी देश वासियों को …