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ऐसा हो गणतंत्र हमारा | ऑनलाइन बुलेटिन

©डॉ. कान्ति लाल यादव, उदयपुर, राजस्थान


 

 

ऐसा हो गणतंत्र हमारा।
जन जन का एक ही नारा।
जग में प्यारा,रहे दुलारा।
ऐसा हो गणतंत्र हमारा।
हर जन के यहां कष्ट हरे।
सब मिलकर संकल्प करें।
ऐसा हो गणतंत्र हमारा।
जन मन गण के गीत हो प्यारा।
गण में तंत्र का विश्वास हो न्यारा।
ऐसा हो गणतंत्र हमारा।
मानवता का दे संदेश अनोखा।
अधिकार-कर्तव्यों का यह पर्व हमारा।
ऐसा हो गणतंत्र हमारा।
लोकतंत्र का धर्म सिखलाता।
इंसानों को पथ दिखलाता।
ऐसा हो गणतंत्र हमारा।
राष्ट्र धर्म का पाठ पढ़ाता।
जन मन में भेद मिटाता‌।
ऐसा हो गणतंत्र हमारा।
भ्रष्टाचार,गरीबी को मिटाए।
आतंकवाद को जड़ से हटाए।
ऐसा हो गणतंत्र हमारा।
हर जन का सपना साकार हो।
हर जन को मिले आसान न्याय हो।
 रोटी-कपड़ा और मकान हो।
शिक्षा ,स्वास्थ्य और रोजगार हो।
ऐसा हो गणतंत्र हमारा।
संविधान कि रक्षा हो।
मानवता की शिक्षा हो।
ऐसा हो संविधान हमारा।
अब तो सांचा ऐसा ढाला जाए।
जिसमें भारत को भारत बनाया जाए।
ऐसा हो संविधान हमारा।
एकता के सूत्र गढ़ें।
राष्ट्र सदा आगे बढ़े।
ऐसा हो गणतंत्र हमारा।

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