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मिलन | ऑनलाइन बुलेटिन डॉट इन

©बिजल जगड

परिचय– मुंबई, घाटकोपर

 

गर तू जो मिल जाए तो हमारी तकदीर सवर जाए,

तेरी सूरत जब देखें सारे जहां में बहार नजर जाए।

 

जिस्म की ये बे-सूद तड़प, ये चांदनी रातों का दर्द,

झुलसी हुवी विरानी मे दर्द के पैवंद लगते जाए।

 

दिल की दीवाल के परे इक दर्द धड़कता सीने में,

ख़फा हो या दर्द ये गम हम कब तक छुपाते जाए।

 

दरिया में जो हबाब थे आंखों में कब तक छुपाते,

आंखों में अश्क,अश्कों से दरिया निकलता जाए।

 

बातें दिल की हमारी वो समझे ,चाहत को जाने,

हिज़्र की राख पे विसाल के फूल खिलते जाए।

 

 

हबाब – पानी का बुलबुला

विसाल – मिलन

 

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